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सूर्यकुमार

महाभारत युद्ध का एक, अजय योद्धा, सूर्यपुत्र, कर्ण जिन्हें, उनके कवच और कुंडल के साथ, पराजित करना असंभव था, क्योंकि उस कवच और कुंडल का निर्माण, अम्रत से हुआ था, इसीलिए, करण, को पराजित करना अर्जुन, जैसे महान, योद्धा के लिए भी असंभव था, पर जहां भगवान श्री कृष्ण हो, वहां असंभव भी संभव हो जाता है, क्योंकि श्री कृष्ण अनंत है, वह सब कुछ जानते हैं, सभी जगह उन्हीं का राज है,उन्होंने इंद्रदेव को विचार दिया और इंद्रदेव ने विचार किया कि -"सूर्यपुत्र"! "कर्ण के पास में अतिरिक्त, दिव्य कवच-कुंडल है, इसीलिए उसकी शक्ति, मेरे पुत्र, अर्जुन से अधिक है, अगर करण, से वह कवच और कुंडल, किसी तरह ले लिए जाए तो अर्जुन और करण की शक्ति समान हो जाएगी, फिर मेरा पुत्र, अर्जुन,कर्ण को अवश्य प्रास्त कर देगा, यही सोचकर, इंद्रदेव ने ब्राह्मण का वेश धारण किया और करण से भिक्षा मांगते हुए कहा -"हे सूर्यपुत्र"! "दानवीर कर्ण, मुझे, भिक्षा में तुम्हारे कवच और कुंडल चाहिए"! 'करण जितने शक्तिशाली थे, उतने ही बुद्धिमान भी थे, उन्होंने अपने चातुर्य से यह जान लिया था कि यह ब्राह्मण नहीं, इंद्रदेव है फिर भी उन्होंने अपने कवच और कुंडल का दान इंद्रदेव को दिया और कर्ण महाभारत युद्ध में अर्जुन के हाथों परास्त हुए, इंद्रदेव उन कवच-कुंडल को स्वर्ग ले जाना चाहते थे पर स्वर्ग में छल से प्राप्त की गई, वस्तु ले जाना वर्जित था तो इंद्रदेव ने उन्हें, हिमालय पर ओम पर्वत, नामक स्थान पर, उन कवच-कुंडल को छुपा दिया, इस रहस्य से जुड़ी और भी कथाएं हैं, जो अन्य जगहों पर कवच-कुंडल छुपाए जाने की घोषणा करती है, अब आप सोच रहे होंगे, कि यह बात तो हमें पता है, पर तुम्हें यह नहीं पता है, कि वह कवच और कुंडल अब मेरे पास है, इसीलिए तुम सभी दिल थाम कर बैठ जाओ, और देखो, मैं क्या-क्या करता हूं, हां,,, पर इसके लिए तुम्हें ध्यान लगाकर, यह पूरी फिल्म देखना पड़ेगी, तो शुरू करते हैं हमारी नई फिल्म

"सूर्यकुमार"!

"बेटा कुमार,,,इधर आना"! मां ने बैठकर झाड़ू लगाते हुए बुलाया

"हां,,,पम्मी,बोलो"! पास बैठा, कुमार, मेंढक की तरह कान पकड़कर, उछलता हुआ आया

"पम्मी नहीं, मम्मी"! मां ने चांटा मारते हुए कहा

और बोली -"20 साल का हो गया है पर मेंढक जितनी भी अक्ल नहीं है, पता नहीं, कब बुद्धि आएगी,तुझ मंदबुद्धि में"! मां ने कोसते हुए कहा

"अगल अत्ल नहीं आ रही है तो मुधे, उतके घल का पता बता दो, मैं पकल कर ले आऊंगा"! कुमार ने कहा

"किसी की लड़की नहीं है, जो पकड़ कर ले आएगा, जा डिब्बे से पैसे निकाल ले ओर बाजार से अनार, एप्पल और भिंडी ले आ और तैयार हो जा, स्कूल का टाइम होने वाला है"!

"ठीत है,,पम्"! कुमार ने शब्द रोकते हुए कहा

कुमार उठा और सामने खंभे से टकराया

"चश्मा लगा ले"! मां ने कहा

फिर कुमार ऊंचाई पर पड़े, डिब्बे को निकालता है पर उसके हाथ नहीं पहुंचते, इसलिए वह चारपाई, कुर्सी लगाता है और उस पर चढ़ जाता है, समतलता न होने के कारण, वह कुर्सी डगमगाती है, यह एहसास, कुमार को बहुत अच्छा लगता है और वह उस कुर्सी को, अपने पांव के वजन से खुद ही हिलाता है और मनोरंजन करता है, ऐसे ही करते-करते वह गिर जाता है और फिर उसके सिर पर वह डब्बा भी गिर जाता है, जिसके कारण उसे चक्कर आ जाते हैं और वह, वहीं बेहोश हो जाता है

"मुंह में अंगूठा डालें, कुमार बाजार में घूम रहा है, वह बाजार क्यों आया है"? "भूल चुका है, फिर बहुत दिमाग पर जोर डालता है और कुछ सामान खरीद कर घर लाता है

माँ, ने थैली से सामान,निकालते हुए कहा -"अनार मंगाये थे, अचार ले आया, भिंडी मंगाई थी, बीड़ी ले आया और एप्पल नहीं लाया"! मां ने पूछा

"तप्पल,,लाया हूं"! कुमार ने जैब से चप्पल निकालते हुए कहा

कुछ देर बाद

कुमार अपने दोस्त से राजपाल के साथ स्कूल जा रहा है "आज सर,,,पर्यायवाची शब्द पूछेंगे, तू याद करके आया है"! दोस्त ने पूछा

"हां,,,छब याद तर लिया है"! कुमार ने कहा

स्कूल में क्लास लगती है, कुमार, सबसे आगे की बेंच पर, राजपाल के साथ बैठा है

-"कल मैं पर्यायवाची शब्द दिए थे, वह सभी याद करके आए हो"! सर ने पूछा

सभी बच्चों ने हां,,,कहा और हाथ, ऊंचा किया

"कुमार, तुम भी याद करके आए हो, "वेरी गुड"! तो खड़े होकर, बुद्धि के तीन पर्यायवाची शब्द बताओ"?सर ने पूछा

"मेरी मां कहती है, मुझ में बुद्धि, नहीं आई है, अब यह बुद्धि कहां रहती है, मुझे नहीं पता, सर आपको पता हो तो, आप बता दो, मैं उसे अभी, पड़कर ले आता हूं"! कुमार ने कहा और सभी हंसने लगे

"चुप हो जाओ"! सर ने बेंच पर डंडा मारते हुए आगे कहा -"शॉर्ट वीडियो, देख-देख कर और बना-बना कर, तुम सभी पागल हो गए हो,और तुम्हें, बुद्धि के बारे में नहीं पता"! सर ने कुमार को डंडा, मारते हुए कहा

"आपती खथम,,सल, नहीं पता, अदल पता होता तो पतड़ लाता"! कुमार ने कहा

फिर सभी हंसते है

-"यहां पर कपिल शर्मा का शो चल रहा है, जो सभी हंस रहे हो, राजपाल, तुम खड़े होकर, बुद्धि के तीन पर्यायवाची शब्द बताओ"?सर ने पूछा

"विवेक, स्मृति और प्रज्ञा"! राजपाल ने कहा

"वैरी गुड,,,राजपाल"! सर ने कहा

"त्या वैली डुड,"सर"! "यह झूठ बोल रहा है, विवेक उधल बैठा है, स्मृति मेले पीछे बेठी है और प्रज्ञा तो आज स्कूल ही नहीं आई है"! कुमार ने कहा

"गधे"! "प्रज्ञा का मतलब, बुद्धि होता है"! सर ने डंडा मारते हुए कहा

"ओ, आई, थी, प्रज्ञा ही मेरी बुद्धि है, अब प्रज्ञा को किसी तरह, मेरे घर ले जाना पड़ेगा, तभी मुझ में बुद्धि आएगी"! कुमार ने मन में विचार किया

स्कूल से घर आते समय, कुमार ने राजपाल से पूछा

"आज प्रज्ञा स्कूल क्यों नहीं आई"?

"मुझे क्या पता, वह सामने उसका घर है, चला जा और पूछ आ"!राजपाल ने जाते हुए कहा

कुमार ने सोचा -"मेले काम, मुधे ही कलना पलेगा, मैं अभी, प्रज्ञा को अपने घर ले जाता हूं"! यह सोचकर कुमार प्रज्ञा के घर में आता है, एक कमरे में प्रज्ञा लेटी हुई है

"तुम्हाली वजह से, मुधे, माल खानी पड़ रही है, और तुम यहां अलाम से भैंस जैसी, लेती हुई हो"! कुमार ने जोर से कहा

"अरे,,,कुमार, तुम यहां क्यों आए हो"? "जाओ यहां से, किसी ने देख लिया तो नयी, मुसीबत खड़ी हो जाएगी"! प्रज्ञा ने चिंतित भाव से कहा

"तुम, मेले घल कब आओगी, तुम्हाले तारण, मुझे लोज ताने सुनने पड़ते हैं"! कुमार ने बताया

"मैं, तुम्हारे घर क्यों आऊं और प्लीज तुम, यहां से जाओ"!प्रज्ञा ने निवेदन किया

"अले,,,तुम,मेली बुद्धि हो, तब तक तुम, मेले घल नहीं आओगे, तब तक मुझ में, बुद्धि नहीं आएगी"! कुमार ने कहा

"चटाक"! "कल मैं अपने, बॉडीबिल्डर भाई को लेकर, तुम्हारे घर, जरूर आऊंगी"! प्रज्ञा ने चांटा मारते हुए कहा

"ठीत है, आ जाना, भूल मत जाना"! कुमार ने खुश होकर कहा और चला गया

"अजीब पागल है, कल स्कूल में इसकी खबर लेती हूं"! प्रज्ञा ने मन में सोचा

"पम्मी,,,मैंने, मेली बुद्धि का पता लदा लिया है, वो तल, अपने घल आएगी"! कुमार ने कहा

"चल,,ठीक है, ड्रेस निकाल दे"! मां ने कहा

अगले दिन, स्कूल में

"अरे,,,यार, तेजपाल"! कुमार ने कहा

"तेजपाल नहीं, राजपाल"! राजपाल ने बताया

"हां,,,,वही तेजपाल"! "आज हर तिमत पल, प्रज्ञा को मेले, घल ले जाऊंगा,तभी मुझ में बुद्धि आएगी"! कुमार ने अंगूठा चूसते हुए कहा

"ओह,,,मेरा, सोना बेटा"! "प्रज्ञा को अपने घर, ले जाना चाहता है, इसके लिए तुम्हें, उसे इंप्रेस करना होगा फिर गर्लफ्रेंड बनाना पड़ेगा, फिर उस से शादी करनी पड़ेगी, तब प्रज्ञा, तुम्हारे साथ, तुम्हारे घर जाएगी"! स्कूल के शरारती छात्र विक्की ने कुमार से कहा

"तो इछके लिए, मुधे त्या कलना पड़ेगा, डिक्की भैया"! कुमार ने कहा

"डिक्की नहीं, विक्की"! विक्की ने बताया

"हां,,,वही, डिक्की, टिक्की"! कुमार ने कहा

"यह गुलाब का फूल ले जा और प्रज्ञा के सामने, घुटनों के बल बैठकर, उससे कहना "आई, लव, यू"! विक्की ने करके दिखाते हुए कहा

"ठीत है, तुम्हाला फूल दो, मैं अभी जाता हूं"!

कुमार गुलाब लेकर, प्रज्ञा के सामने आकर, घुटनों के बल बैठकर, कहता है -"आई, लू, बू"!

प्रज्ञा ने तमाचा जड़ा, जिससे उसका चश्मा, नीचे गिर गया और हाथ से गुलाब भी छूट गया, फिर प्रज्ञा ने उसके पैर से, उस गुलाब को मसलते हुए कहा -"खरगोश जैसी, मासूम शक्ल और सूअर जैसे, गंदे काम करता है, बेशर्म, गधे"!

"प्रज्ञा क्या हुआ"? विक्की ने पूछा

"कल जबरदस्ती, मेरे घर में घुस आया और आज सबके सामने, मुझे प्रपोज कर रहा है, बेशर्म कहीं का, मैं अभी प्रिंसिपल से इसकी, शिकायत करती हूं"! प्रज्ञा ने धमकी देते हुए कहा

"अरे,,,इसमें प्रिंसिपल के पास, जाने की क्या जरूरत है, और वैसे भी तुम, हो ही इतनी खूबसूरत, पर हम इसे यही सबक सिखा सकते हैं"! विक्की ने कहा

फिर विक्की अपने पांच दोस्तों के साथ, कुमार को चारों ओर से घेर लेता है और वह सभी मिलकर, उसकी बहुत मजाक उड़ाते हैं, उसका चश्मा तोड़ देते हैं, कपड़े फाड़ देते हैं, बैक से कॉपी-किताबें, निकालकर उड़ाते हैं और उसे पिटते भी है, कुमार, रोता हुआ, सब कुछ सह लेता है

फिर वह निराश, मायूस होकर, अपने घर आता है और अपनी मां से कहता है -"पम्मी,,,मुधे, डिक्की और उसके दोस्तों ने बहुत माला औल मेला चश्मा, तिताबें, बैग थब तोलफोल दिया"! कुमार ने रोते हुए कहा

"पहले तो छोटी-मोटी गलतियां करता था, अब लड़कियां छेड़ता है, दूसरों की बहन-बेटियों को छेढ़ेगा तो लोग मारेंगे ही, बता तूने ऐसा क्यों किया"? मां ने मारते हुए पूछा

"पम्मी,,,मैंने उसे नहीं छैला था"! कुमार ने बताया

"झूठ बोलता है, प्रज्ञा ने खुद, मुझे आकर बताया, झूठ भी बोलने लग गया है, जा कहीं जाकर, मर जा"! मां ने फिर चांटा मारते हुए कहा

"पम्मी,,,मरते तैसे हैं"? कुमार ने पूछा

"नदी में कूद कर, मर जा"! माँ ने गुस्से से कहा

कुमार अपने आंसू पोछकर, भागता हुआ, नदी के तट पर आता है और उसमें कुद जाता है और डूब जाता है फिर बहता हुआ जंगल में आ जाता है, उसका शरीर, नदी के किनारे, पत्थरों पर पड़ा है, वहां एक साधु, पानी पीने आता है तो उसे कुमार दिखाई देता है, वह साधु, उसके पेट से पानी निकालता है और उसे अपने कंधों पर उठाकर, एक गुफा में ले आता है और लेटा देता है फिर उसके सिर पर हाथ रखकर, कुछ मंत्र पड़ता है और समाधि पर बैठ जाता है

कुछ देर बाद

कुमार को होश आता है, कुमार उठता है तो उसे अपने सामने, ध्यान आसन पर में बैठा, एक साधु दिखाई देता है, उस साधु का एक हाथ, उसके घुटनों पर है और दूसरा हाथ से वह, सामने दीवार की और इशारा कर रहा है

"क्या"? कुमार ने पूछा

पर साधु उसी मुद्रा में बैठा है

"क्या है, उसे दीवार में जो तुम इशारा कर रहे हो"? कुमार ने फिर पूछा

तभी कुमार को उस, दीवार से रोशनी की किरण, आते हुए देखी और वह रोशनी की तरफ बड़ा, उस रोशनी के सामने जाकर देखा और एकदम से पत्थर हटा दिया, पत्थर के हटते ही, वहां से तेज प्रकाश आया, जिस कारण कुमार को अपनी आंखें, बंद करनी पड़ी फिर उसने धीरे-धीरे आंखें खोली और देखा, उसके सामने एक चमचमाता कवच और दो कुंडल रखे हैं, कुमार ने धीरे-धीरे कवच की और हाथ बढ़ाया और कवच को स्पर्श कर, पहले कुंडल उठाए और उन्हें अपने कानों में पहना, उन्हें पहनते ही कुमार की आंखों की रोशनी, बहुत तेज हो जाती है और उसकी आठो इंद्रियों में एक, दिव्य ऊर्जा जागृत होती है, फिर उसने कवच उठाया और उसे पहना, उसे पहनते ही उसमे, अपार बल और शक्ति आ जाती है, ऐसी ऊर्जा का अनुभव, उसने जीवन में पहली बार किया है, फिर वह देखता है, साधु के पास एक पुस्तक पड़ी है, कुमार ने पुस्तक उठाकर खोली, उसमें संस्कृत में कुछ लिखा था, जिसे मैं हिंदी में बताता हूं -"यह कवच और कुंडल, महान दानवीर, सूर्यपुत्र, करण के हैं, मैं हिमालय पर तपस्या करने गया था, तब मुझे यह मिले थे, मैं इन कवच और कुंडल को, बाहुबली तक पहुंचाना चाहता हूं"!

"ओह,,,तो बाबा, बाहुबली के फैन हैं पर बाहुबली तो वैसे ही बहुत शक्तिशाली है और ज्यादा शक्ति से इंसान में घमंड आ जाता है, इसलिए इन्हें में रख लेता हूं"! कुमार ने कहा

तभी उसके कानों में उसकी, मां की आवाज सुनाई देती है, उसकी मां, उसे नदी किनारो पर ढूंढ रही है -"कुमार,,,कुमार,,,,कुमार,,,

"हां,,,,मम्मी जी बोलो"! कुमार ने पीछे से पूछा

"तु, ठीक है, घर चल, में कल विक्की और उसके दोस्तों की शिकायत, प्रिंसिपल से करुंगी ओर उनकी पिटाई कराऊंगी"! माँ ने समझाते हुए कहा

"अब उसकी जरूरत नहीं है, मुझ में अक्ल नहीं थी, इसलिए मैंने गलती की थी पर अब अक्ल आ गई है"! कुमार ने कहा

"तूने, एक भी शब्द तोतलाकर नहीं कहा, तेरी जुबान ठीक हो गई है, क्या"? मां ने पूछा

"मेरे शरीर के सारे, ढीले, नट-बोल्ट टाइट हो गए हैं, अब देखना, तेरा बेटा क्या-क्या करता है"? कुमार ने कहा

फिर कुमार अपने घर आता है और दरवाजा लगाकर, दर्पण के सामने खड़ा होकर, अपना शर्ट निकालता है और उन कवच-कुंडल को देखता है, उस कवच पर एक बहुत बड़ा सूर्य का चित्र बना है और कुंडल पर अर्धचंद्र का चित्र बना है

फिर कुमार उन, कवच-कुंडल को छुपाकर, एक बड़े बॉक्स में छुपा देता है, उन्हें निकालते ही उसकी, आंखों की रोशनी कम हो जाती है और वह पहले की तरह कमजोर हो जाता है

"अथा,,अथा,, इथका मतलब, साली छक्ती, तवच ओर टुंडल मे है"! कुमार ने अपनी हालत देखकर कहा

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4 Comments

HARSHADA GOSAVI

30-Sep-2023 07:11 AM

Amazing

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Chetan Shri Krishna

01-Oct-2023 12:44 AM

Thanks🙏

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Varsha_Upadhyay

27-Sep-2023 09:48 PM

Nice one

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Chetan Shri Krishna

01-Oct-2023 12:44 AM

Thanks

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