Amit Ratta

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Lekhny poetry -28-Sep-2023

रेप

एक लड़की कल बाजार में गुमसुम सी चुपचाप खड़ी थी आखों में डर चेहरे पे शर्म नजरें इकटक जमीं पे गढ़ी थीं।।

जानबुझ कर या मजबूरी में चेहरा दुपट्टे से ढका हुआ था दर्द खामोशी थी अजीब सी बदन जैसे कि थका हुआ था।।

हर कोई ताक रहा था उसको ताने कोई तंज कस रहा था जाने क्यों हर इक शख्स उसकी लाचारी पे हंस रहा था।।

हरेक की आंखों में हवस नजरों से बलात्कार कर रहा था सब देखके भी खामोश थी हर शख्स हद पार कर रहा था।।

क्यों चुप है बोलती क्यों नही ये सब मैं खुद से पूछ रहा था कौन है वो क्यों मौन है बो मेरी सब्र का बांध टूट रहा था।।

किसी को पूछा तो पता चला वो बस हालात की मारी थी रेप किया किसी बेटी का बो बहन थी एक बलात्कारी की।।

सुना है उसकी मां ने तब से घर से निकलना छोड़ दिया था चारपाई से उठा न पाया बाप घटना ने ऐसा तोड़ दिया था।।

मोहल्ले में बेदखल परिवार अब कोई उनका अपना न था जिंदा लाशें बन चुके थे सब किसी का कोई सपना न था।।

सोचता हूं आखिर किस किसका रेप किया उसके भाई ने अपनीं ही उस बूढ़ी माँ का जो अब सब से मुह छुपाती थी

या अपने बूढे बाप की सारी उम्मीदों का सपनो का रूह का या खुद की बहन का जो किसी से नजर नही मिलाती थी।।

हंसता खेलता ये पूरा परिवार बर्बाद हो गया था एक पल में बेशक गुनाह एक ने किया पर सज़ा पूरे परिवार ने भुगती थी।

अमित बेशक रेप किया था उसने किसी ओर की बेटी का पर इज्जत इज्जत तो अपने बाप माँ बहन की भी लूटी थी।।

                            अमित रत्ता 
             अम्ब ऊना हिमाचल प्रदेश

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11 Comments

Zakirhusain Abbas Chougule

30-Sep-2023 10:54 AM

Nice

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Amit Ratta

29-Sep-2023 06:33 PM

🙏🙏🙏

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Amit Ratta

29-Sep-2023 06:33 PM

🙏🙏🙏🙏

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