Vipin Bansal

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मासूम

जख्मी करकर दिल को मेरे

खुद मासूम बनकर चल दिए।
हालात का जामा पहनकर
हमे कफन उढ़ाकर चल दिए।
जख्मी करकर दिल को मेरे
खुद मासूम बनकर चल दिए। 

नींद खोई चैन खोया |
तेरे प्यार में सब कुछ अपना गवाँ बैठा
जमाने को ही नहीं खुद को भी मैं भुला बैठा
आज विराने में तुम हमें !
तन्हा जिन्दा दफना कर चल दिए।
जख्मी करकर दिल को मेरे
खुद मासूम बनकर चल दिए।

खिंजा में आए तुम बहार बनकर !
तन्हाई में आए तुम शबाब बनकर!
हमे मंजिलों के इतने करीब लाकर
अंधेरों में हमे रोशनी दिखाकर !
खुद अंधेरों से डरकर चल दिए।
जख्मी करकर दिल को मेरे
खुद मासूम बनकर चल दिए।

खिलौना समझकर दिल को मेरे ।
प्यार का तुमने खूब खेल खेला।
प्यार का बहता सागर बनकर
भंवरो के बीच हमे लाकर छोडा।
चमन के सभी फूल चुनकर !
काँटो में हमे उलझा कर चल दिए।
जख्मी करकर दिल को मेरे
खुद मासूम बनकर चल दिए।

       विपिन बंसल

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5 Comments

Seema Priyadarshini sahay

10-Nov-2021 05:27 PM

बहुत बढ़िया

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Niraj Pandey

17-Oct-2021 04:13 PM

वाह बहुत खूब

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बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ 👌👌

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