पिंजरा
काश तुम आसमाँ बन जाते,
और मैं पंछी बन दिन भर उड़ती।
बदकिस्मती से तुम पिंजरा बन गए,
और मैं उसमें कैद होती चली गयी।
शुरुवात में थोड़ा कसमसाई, थोड़ा छटपटाई
फिर आदत होने लगी।
बंद और खुले पिंजरे में फर्क खत्म हो गया,
पिंजरे को मैंने घर का नाम दे दिया।
,❤सोनिया जाधव
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kashish
03-Feb-2023 02:29 PM
nice
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Abhilasha sahay
16-Dec-2021 04:37 PM
Very nice 👌
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Kaushalya Rani
15-Dec-2021 08:17 PM
Nice
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