Sonia Jadhav

Add To collaction

पिंजरा

काश तुम आसमाँ बन जाते,
और मैं पंछी बन दिन भर उड़ती।
बदकिस्मती से तुम पिंजरा बन गए,
और मैं उसमें कैद होती चली गयी।


शुरुवात में थोड़ा कसमसाई, थोड़ा छटपटाई
फिर आदत होने लगी।
बंद और खुले पिंजरे में फर्क खत्म हो गया,
पिंजरे को मैंने घर का नाम दे दिया।

,❤सोनिया जाधव

   15
14 Comments

kashish

03-Feb-2023 02:29 PM

nice

Reply

Abhilasha sahay

16-Dec-2021 04:37 PM

Very nice 👌

Reply

Kaushalya Rani

15-Dec-2021 08:17 PM

Nice

Reply