लेखनी प्रतियोगिता -30-Sep-2023
#दिनांक:-30/9/2023
#शीर्षक:- रामबाण
जब हताशा बढ़े,
निराशा का बुखार चढ़ जाये,
विश्वास रक्तचाप सा तेजी से गिर जाये,
तनाव के साथ मन में अथाह दर्द,
घबराहट, दिल की धड़कन बढ़ाये,
एकांतवास में मन रमता जाये ।
इहलीला खत्म का ख्याल बार-बार आये ।
बस उस शख्स को एक दवा तारीफ का देना,
उसमें खुद को जानने का तरीका तारीफ से बताना,
खुशहाल जीवन,
जीवंत बनाने की कोशिश,
हताश जीवन को,
तारीफ से उत्साहित कर देना,
नये जोश-उल्लास से उसका जीवन भर देना।
एक तारीफ, खुशी दो आत्माओं को मिलता,
एक तुमको ऊपर उठाता ,
दूसरा उस शक्स को खाई में गिरने से बचाता।
आपके द्वारा तारीफ,
अद्भुत जादू कर जाता,
आपको भी उस वक्त,
असीम आनंदित करता ।
आत्मविश्वास अंदर से जगाता,
आत्मबल को और मजबूत बनाता,
आशावान बार-बार करता,
सकारात्मक दृष्टिकोण कर जाता,
तारीफ वह औषधीय रामबाण है!
जो प्रेमामृत का पान कराता |
पथ मोक्ष का दिखाता।
रचना मौलिक, अप्रकाशित, स्वरचित और सर्वाधिकार सुरक्षित है।
प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
चेन्नई
Milind salve
01-Oct-2023 10:39 AM
V nice
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Punam verma
01-Oct-2023 09:16 AM
Very nice
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Varsha_Upadhyay
30-Sep-2023 08:36 PM
Nice one
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