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लेखनी प्रतियोगिता -04-Oct-2023

#दिनांक:-4/10/2023
#शीर्षक:-तो क्या ही बात हो?

ढ़ेर ख्वाहिशों का हों,
और सपना सच हो जाये !
तो क्या ही बात हो ?

उजड़े उखड़े दर्द हो ,
बेहतर कोई मलहम लगाया जाये,
तो क्या ही बात हो ?

अमीरों के महल में भौतिकता चमकती,
गरीबों के जर्जर घर का हाल बदल जाये,
तो क्या ही बात हो ?

अनैतिकता का युग चल रहा है ,
दरिन्दगी सोच की हत्या कर दी जाये ,
तो क्या ही बात हो ?

महिलाओं का आरक्षण सुनिश्चित हो गया है ,
अब तो बलात्कार से सुरक्षित हो जाये,
तो क्या ही बात हो ?

महफिल अपनों की हो ,
प्यार के जाम पे जाम पिलाया जाय,
तो क्या ही बात हो?

रचना मौलिक, अप्रकाशित, स्वरचित और सर्वाधिकार सुरक्षित है।

प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
चेन्नई

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5 Comments

hema mohril

05-Oct-2023 09:48 AM

V nice

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Punam verma

05-Oct-2023 08:22 AM

Very nice

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Gunjan Kamal

05-Oct-2023 08:14 AM

बहुत खूब

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