कविता
मजबूर-----
विरह गीत-------
सनम हम तुमसे हुए क्या दूर
हमारा प्यार हुआ मजबूर।।
दिल ❤️ की हसरत पूरी करने
कितने हो गये तुम मगरूर।। हमारा प्यार हुआ मजबूर।।
तेरे कदम ज़मीं पै रूके ना
छूके अंबर कभी झुके ना
महलों में रहने वाली हो
मेरी कुटिया तुम्हें जंचे ना
तेरी चाहत की भेंट चढ़ा
एक बेबस इंसान जरूर।।
हमारा प्यार हुआ मजबूर।।--------------१
तनहाई में हंसते रहे हम
सारे दुखड़े सहते रहे हम
तेरी याद न बिसरी हर पल
सपना बनकर रोज मिले हम
दिल ❤️ के पास रहे हम दिलबर
फिर क्यों नूर हुआ बेनूर।।
हमारा प्यार हुआ मजबूर।।---------------२
धन जेंबर से कोंन अंग
देखी माया मन ललचाया
दौलत पर सोने वाली हो
मैं निर्धन हूं अलसाया
मैंने अपना तन-मन देकर
तेरा जीता दिल भरपूर।।
हमारा प्यार हुआ मजबूर।।।----------------३
***रामसेवक गुप्ता***
Renu Singh"Radhe "
21-Oct-2021 08:10 AM
बहुत खूब
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Ramsewak gupta
21-Oct-2021 03:28 PM
Thanks
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Ankit Raj
19-Oct-2021 12:52 PM
Very very nice
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Niraj Pandey
19-Oct-2021 12:17 AM
बहुत खूब
Reply
Ramsewak gupta
19-Oct-2021 11:57 AM
Thanks
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