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भावना

प्रतियोगिता हेतु प्रस्तुत 
 विषय,   भावना

बगियां बनाओं प्यार भाव से और
खुशियों के फूल उगाओं उसमें
गलतफहमी मत रखो दिमाक में
नही तो सारी उम्र गुजर जायेगा पछतावे में।
बहुतेरे लोग उलझें हुए है दिनरात
पड़ोसी को नीचा दिखाने में
अगर ऐसा ही भाव रहा तो
वक्त गुजर जायेगा सिर्फ पछतावे में।
दिल में हो ऐसा भाव कि
हम एक दूसरे का मीत बन जाएं
ये सिलसिला इस तरह चलता रहें कि
हम जीत बनकर मुस्कुराएं।
हाथ में होती है विविध पांच उंगलियां
पर हम मुट्ठी की तरह बंधे रहें
गुजरते लम्हें गुजर ही जाएंगे
गर्व से कहिए कि हम सब एक हैं।
थोड़ी सी पहल तो करनी ही होगी
चुप रहने से कल्याण नही होगा
सोना जैसा निखरना है तो
एक दूजे का सम्मान करना ही होगा।
बढ़ रहें है निरंतर उम्र की लकीरें
तू बना अपने हाथों की सुनहरी लकीरें
आदर्श जीवन का निर्माण हेतु
सम भाव रखना ही होगा
यही हो हम सब की भावना।

नूतन लाल साहू

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7 Comments

Punam verma

09-Oct-2023 08:14 AM

Nice

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Abhinav ji

09-Oct-2023 07:43 AM

Nice

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खूबसूरत भाव और संदेश

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