Navanita Gupta

Add To collaction

अखबार


अखबार


कागज का चंद पन्ना हूँ, 

चाय की चुस्कियों के साथ जिसका रहता इंतजार, 

मैं ऐसा खबरों का भंडार हूँ, 

हाँ जी, हाँ जी मैं वही  आपका अपना चहिता  अखबार हूँ। 

ना मेरा कोई घर-बार है, 

बस खबरों का अपना कारोबार है। 

कुछ अच्छी तो कुछ बुरी खबरें सुनाता हूँ, 

हर सुबह मैं सबके घर बंट जाता हूँ, 

कुछ खुशियाँ तो कुछ गम सबके घर बांट आता हूँ। 

देश- दुनिया की खबरें साथ में मैं लाता हूँ। 

बस दो रुपये में देश -दुनिया की सैर करा आता हूँ, 

हाँ जी, हाँ जी मैं अखबार हूँ, 

कुछ अच्छी, कुछ बुरी खबरें सुनाता हूँ। 

कहीं चोरी-डकैती तो कहीं दंगा फसाद है, 

कहीं तेजी से बढ़ रहा अपराध है। 

मर्डर, रेप, लूट, मारपीट और धोखाधड़ी अब तो आम बात है । 

कहीं दहेज के नाम पर बलि चढ़ता पूरा परिवार है, 

सुधार की दिखती नहीं कोई आसार है। 

विज्ञान और खेल-जगत की अच्छी खबरें मैं लाता हूँ, 

रोजगार और तकनीकी के अच्छे अवसर भी देता हूँ, 

बेरोजगारों के  हर कष्ट हर लेता हूँ।

मोदी जी के हर विचारों से अवगत मैं कराता हूँ, 

अर्थव्यवस्था में नयी क्रांति मैं लाता हूँ। 

साथ ही शिक्षा जगत में भी अपना योगदान देता जाता हूँ। 

सच्चाई की नींव बनाता जाता हूँ, 

बुराई से दूर रहने का सलाह मैं दे जाता हूँ। 

शुभ काम से लेकर हर तरह की खबरों की अंबार लाता हूँ, 

शायद इसलिए अखबार मैं कहलाता हूँ। 

हाँ जी, हाँ मैं अखबार हूँ अच्छी  खबरें मैं लाता हूँ।

कहीं इंसाफ मैं दिलाता हूँ।

अमीर से लेकर गरीब मैं सबके काम आता हूँ। 

मौसम जगत जानकारी आसानी से दे जाता हूँ। 

अखबार हूँ मैं दो रुपये में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खबरें दे जाता हूँ, 

राजनीति के दांवपेंच भी मैं सिखाता हूँ। 

मानवता, भाईचारे और इंसानियत की सीख चंद शब्दों में दे जाता हूँ। 

मनोरंजन का माध्यम भी मैं बन  जाता हूँ। 

अच्छी और बुरी खबरें साथ मैं लाता हूँ‌‌। 





   10
5 Comments

Arti khamborkar

13-Oct-2023 06:07 AM

v nice

Reply

Mohammed urooj khan

12-Oct-2023 11:33 PM

👌👌👌👌

Reply

बेहतरीन

Reply