Yusuf

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आजादी


आजादी
पंछी है कैद अगर, 
तो उड़ने में कर मदद तू ।
रात है काली अगर,
दिया जला कर रौशन कर तू । 
बीत गए कई साल रूढ़िवादी विचारों में उलझ कर, 
सुलझा मन के भाव तू। 
औरत, आदमी या हो कोई बच्चा, 
सबके जीवन का कर सम्मान तू । 
आगे बढ़ विजई राह पर । 
उन वीरों ने क्या पाया, 
अगर तू अब भी डर में खोया। 
उठ जा तू, छू ले आसमान, 
आज़ाद पे है सबका हक ।
तोड़ दे दीवारें सारी,

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6 Comments

Mohammed urooj khan

16-Oct-2023 12:54 AM

👌👌🙏🙏

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Arti khamborkar

14-Oct-2023 08:22 AM

nice

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बेहतरीन

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