धर्म

धर्म

रचनाकार ✍️उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट

जिधर देखें उधर इंसानियत की फसल लहराए,
न हो नफरत कहीं जो दिल किसी का आज दहलाए;
दु:खी हो जब कभी कोई बनें हमदर्द हम उसके,
जरूरत पर किसी के काम आना धर्म कहलाए।

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1 Comments

Mohammed urooj khan

16-Oct-2023 01:26 AM

👌👌👌👌

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