कर्म पथ........
.........कर्म पथ........
जुड़ने की कोशिशों मे
टूटा हूं कई बार
अपनों के साथ होने मे
छूटा हूं कई बार
पहुंचकर भी ऊंचाई तक
गिरा हूं कई बार
फिर भी अभी हारा नही हूं
कमजोर जरूर हूं,बेचारा नही हूं....
मरते देखा हूं कई बार
अपनों के नाते ही स्वाभिमान को
कर लिए हैं समझौते ,मगर
थामने नही दिया हूं गिरेहबान को
आदमी हूं,ईमान बेचकर
खुश होना भाया ही नही कभी
शब्द बेचकर लेखनी थामी नही कभी....
जो भी हूं जैसा भी हूं
इच्छाओं को मारकर भी जिया हूं
कोई अपने हों या बेगाने
न पीछे चला , न कभी चलना चाहा
गैरत के साथ चलता हूं
अपने आप मे भला हूं...
चंद सांसे भी जब अपनी खुद की नही
तब करूं क्यों जीवन से तकरार
बस ,चल रहा हूं कर्म पथ पर अपने
मिले जीत या मिले हार...
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मोहन तिवारी,मुंबई
Mohammed urooj khan
18-Oct-2023 05:23 PM
👌👌👌👌
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