झुमका
तेरे खिलते हुस्न का श्रृंगार है ये झुमका ।
महकते यौवन का तेरे सार है ये झुमका ।।
ये झुमका ही है जिसने मुझे बहलाया है ।
मेरी क़लम दवात सब इसी ने उठवाया है ।।
इसी को देख लिखा मेने लफ़्ज नामा ।
देख इसी को जीता है तेरा ये दीवाना ।।
मेरी नजरों का नजराना है ये झुमका ।
जैसे अपनी भीड़ में बेगाना है ये झुमका ।।
इस झुमके ने मुझ को भी घुमाया है ।।
मिलने को तुझ से फिर बुलाया है ।।
Mohammed urooj khan
19-Oct-2023 11:50 AM
👌👌👌👌
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Punam verma
18-Oct-2023 07:40 AM
Nice👍
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
18-Oct-2023 07:32 AM
खूबसूरत भाव
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