Yusuf

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झुमका


तेरे खिलते हुस्न का श्रृंगार है ये झुमका ।
महकते यौवन का तेरे सार है ये झुमका ।।

ये झुमका ही है जिसने मुझे बहलाया है ।
मेरी क़लम दवात सब इसी ने उठवाया है ।।

इसी को देख लिखा मेने लफ़्ज नामा ।
देख इसी को जीता है तेरा ये दीवाना ।।

मेरी नजरों का नजराना है ये झुमका ।
जैसे अपनी भीड़ में बेगाना है ये झुमका ।।

इस झुमके ने मुझ को भी घुमाया है ।।
मिलने को तुझ से फिर बुलाया है ।।

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7 Comments

Mohammed urooj khan

19-Oct-2023 11:50 AM

👌👌👌👌

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Punam verma

18-Oct-2023 07:40 AM

Nice👍

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खूबसूरत भाव

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