V.S Awasthi

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माता चन्द्र घंटा

माता चन्द्र घंटा
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मस्तक पर अर्ध चन्द्र, एक हस्त घंटा।
स्वर्णिम है तन मां का नाम चन्द्र घंटा।।
भगवान भूत नाथ से जब परिणय की ठानी।
सती तब हिमाचल की पुत्री बन पार्वती जानी।।
अवघड़ दानी तब बारात ले कर आए।
भूत,प्रेत,अवघड़ सब बराती बन आए।।
रानी मैनावती ने बारात देख खो दिए होश।
धरा पर गिरी तब और हो गईं बेहोश।।
तब पार्वती ने भोले नाथ को मनाया।
अवघड़ दानी का रुप त्याग राजकुमार बनाया।।
शिव ने मां पार्वती से ब्याह तब रचाया।
पार्वती ने हांथ ले जोर से घंटा तब बजाया।
शान्ति और सौम्यता का रुप है बनाया।
दुष्टों का नाश कर भक्तों पर आशीष बरसाया।।
भाल पर अर्ध चन्द्र हांथ में घंटा ले मां ने रुप सजाया।
तभी से मां का नाम चन्द्र घंटा कहलाया।।
विद्या शंकर अवस्थी पथिक कानपुर

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4 Comments

Mohammed urooj khan

19-Oct-2023 11:57 AM

👌👌👌👌

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सुन्दर सृजन

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Punam verma

18-Oct-2023 07:37 AM

Jay mata ji

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