किन्नर
कैसे कैसे नाम मिले हैं,
हिजड़ा छक्का मर्द न औरत,
जहर घोलकर मेरे अंदर,
छीन ली है मेरी शौहरत।
भूल जा तू कौन है तेरा,
ये दुनिया ही तो तेरी है,
स्वछन्द नील गगन है तेरा,
बाँहें फैलाए धरती है।
अलग पहचान है तू तेरी,
पृथ्वी ही तेरा संबल है,
टाँग खींचने वाले हैं तो,
थामे तुझे नीलाम्बर है।
तू खुदा का प्रिय बंदा है,
उसने तुझे जहां में भेजा,
संघर्ष ही जीवन है यहाँ,
शिक्षा इसको तू भी लेजा।
मैं कैसा धरती पर आया,
संसार सोच से मत सोचो,
दुर्लभ ताकत को पहचानो,
व्यर्थ प्रपंच को मत बांचो।
स्वर्ग गायक किन्नर हो तुम,
अभिमान करो अपनी छवि पर,
बादल के रथ पर सवार हो,
मल्हार मेघ गाओ क्षिति पर।
शक्ति होकर शक्ति का पूजन,
फिर शक्ति से ही बेखबर हो,
दुआ फलित होती हैं सबपर,
अपने लिए "श्री" बेखबर हो।
स्वरचित-सरिता श्रीवास्तव "श्री"
धौलपुर (राजस्थान)
Mohammed urooj khan
21-Oct-2023 11:37 AM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
Reply
madhura
20-Oct-2023 11:27 AM
V nice
Reply
Sarita Shrivastava "Shri"
20-Oct-2023 05:50 PM
🙏
Reply
Shashank मणि Yadava 'सनम'
20-Oct-2023 08:19 AM
बेहतरीन अभिव्यक्ति
Reply
Sarita Shrivastava "Shri"
20-Oct-2023 09:25 AM
🙏
Reply