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दुर्गाष्टमी

महागौरी शुभ विश्वास, दुर्गे माँ मंदिर विराजे।

मन श्रद्धा किया उपवास, दुर्गे माँ मंदिर विराजे।

वृषभ सवार माँ श्वेत वस्त्र धारिणी,
कल्याण करणी दुख दर्द निवारिणी,
घर-घर भवानी का वास, दुर्गे माँ मंदिर विराजे।

मोहनी मूरत माँ अलौकिक छवि है,
तेजस बिखरा जैसे चमके रवि है,
कण-कण में फैला उजास, दुर्गे माँ मंदिर विराजे।

महागौरी माँ अमोघ फलदायिनी,
धुल जाएं कल्मष पातक विनाशिनी,
मुख पर मंद-मंद हास, दुर्गे माँ मंदिर विराजे।

धूप दीप ध्वजा नारियल चढ़ाएं,
आरती करें माँ को भोग लगाएं,
हवा में हवन की सुवास, दुर्गे माँ मंदिर विराजे।

नौ दिवस व्रत रखें कंजक जिमाएं,
माँ महागौरी का आशीष पाएं,
जन-जन में छाया उल्लास, दुर्गे माँ मंदिर विराजे।

अन्नपूर्णा का रूप महागौरी,
भरे अन्न भण्डार मंगला गौरी,
पूर्ण करे जग "श्री" आस, दुर्गे माँ मंदिर विराजे।

स्वरचित-सरिता श्रीवास्तव "श्री"
धौलपुर (राजस्थान) 

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5 Comments

Babita patel

24-Oct-2023 02:36 PM

Nice

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Mohammed urooj khan

23-Oct-2023 02:12 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Reena yadav

23-Oct-2023 10:04 AM

👍👍

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