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सम्मान........

........सम्मान........

सम्मान पाते रहना ही
सज्जन होने का प्रमाणपत्र नही होता
मिले संस्कार ही बनाते हैं व्यवहारिक
अपने लाभ के खातिर तो
यूं भी पहना देते हैं पुष्पमाला....

यहां तो दैनिक वेतन पर
उठते हैं मजदूर झंडे
जयकारे के साथ खाते हैं हलवा पूरी
जो,शाम को झगड़ते हैं
पगार के लिए...

सम्मान देकर ही मिलता है सम्मान
योग्यता की झलक मे भले
तोरण सजे न सजे
उसकी गूंज चाहूं और फैलती है....

खरीदी गई डिग्रियां
या खरीदा गया सम्मान
बुलबुले से अधिक नही होता
जमीर बेचकर चेहरे की सुंदरता भले बढ़े
आत्म हर पल मरती रहती है...

दुआओं का दीपक भी सूरज है
बद्दुआओं का बाल का अंत तो 
फुज्य होना ही है....
.................…...
मोहन तिवारी,मुंबई

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2 Comments

Mohammed urooj khan

31-Oct-2023 04:28 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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RISHITA

26-Oct-2023 11:02 AM

Awesome

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