Rakesh rakesh

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लेखनी प्रतियोगिता -01-Nov-2023 सदा सुहागन

दुनिया में सरस्वती की सबसे बड़ी दुश्मन उसकी सास थी, वह रात दिन भगवान से दुआ करती थी कि जल्दी मेरी बुढ़िया सास को मौत आऐ, क्योंकि उसकी बुजुर्ग सास उसे रात दिन सदा सुहागन रहने का आशीर्वाद देती थी।


सरस्वती जैसी खूबसूरत महिला पूरे गांव में नहीं थी, कुछ गांव के जवान बुजुर्ग तो यहां तक कहते थे कि सूरज बहुत भाग्यशाली है क्योंकि उसे इंद्र देवता की अप्सराओं मेनका उर्वशी जैसी खूबसूरत पत्नी मिली है और कोई अनजान बुजुर्ग जवान पुरुष सरस्वती को एक बार नजर भरकर देख लेता था, तो उसके घर का पता करके दोबारा खूबसूरत सरस्वती को देखने जरूर आता था।

स्वयं सरस्वती को भी पता था कि मैं हद से ज्यादा खूबसूरत हूं, मेरे पहनने ओढ़ने की नकल गांव की महिलाएं और मुझसे मिलने वाली अनजान महिलाएं भी अपने पतियों को रिझाने के लिए करती हूं।

गांव की महिलाएं सरस्वती को अपने घर में बुलाने से डरती थी,कि कही हमारे पति सरस्वती के दीवाने होकर हमें अपने घर से ना भगा दे।

और सरस्वती को यह भी पता था कि मेरा पति सूरज मुझे बहुत कम सुंदर है, इसलिए सूरज के द्वारा उसका बहुत ज्यादा ध्यान रखने के बावजूद भी वह सूरज की इज्जत नहीं करती थी और जब भी सूरज अनजाने में भी कोई छोटी सी भी गलती कर देता था तो उससे कहती थी "अगर मैं एक बार इशारा करूं तो तेरे से लाख गुना सुंदर युवकों की लाइन लगा दूंगी।"

सूरज सरस्वती की खूबसूरती की वजह से नहीं बल्कि अपनी इज्जत और उसकी जिंदगी कि वजह से उसकी दिल दुखाने वाली बातें बर्दाश्त करता था कि कहीं यह किसी युवक के साथ घर छोड़कर भाग गई तो मेरी तो बदनामी होगी ही साथ में इसका जीवन भी बर्बाद हो जाएगा।

कोई भी तो त्यौंहार होता था जैसे दिवाली रक्षाबंधन भाई दूज और सबसे ज्यादा करवा चौथ पर गांव के कुंवारे युवक सरस्वती को सजी संवरी देखना जरूर आते थे, और सरस्वती भी बेशर्मों जैसे अपनी खूबसूरती उन युवकों को दिखने में बिल्कुल भी नहीं शर्माती थी। 

एक बार करवा चौथ का व्रत रखकर अपने पति सूरज को अपना सिंगर दिखाने की वजह सरस्वती गांव के कुंवारे युवकों को अपना सिंगर दिख रही थी, तो उस समय सूरज को सरस्वती की यह बात बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं होती है और वह गुस्से में सरस्वती के एक थप्पड़ मार देता है।

थप्पड़ लगने से सरस्वती का गांव के कुंवारे युवकों के सामने अपमान हो जाता है, इसलिए वह सूरज के एक जोरदार थप्पड़ मार कर अपने मायके चली जाती है।

सूरज सरस्वती के आगे छोटा बनकर उसके हाथ जोड़कर माफी मांग कर सरस्वती को उसी दिन अपने घर ले आता है, सूरज यह चाहता था कि मेरा घर परिवार बर्बाद ना हो इसलिए वह सरस्वती को अपने घर ले आता है, लेकिन सरस्वती यह सोचती है कि सूरज भी मेरे हुसैन का दीवाना है, इसलिए मेरे बिना एक पल भी रहना इसे बहुत मुश्किल लगता है।

और सुबह से गुस्से में जब सरस्वती छलनी से अपने पति और चंद्रमा को देखने के बाद जल अर्पण करने के अपनी सास के पैर छूकर आशीर्वाद लेती है, तो उसकी सास सदा सुहागन रहने का उसे आशीर्वाद देती है।
 
तो इस आशीर्वाद को सुनकर वह अपनी बुजुर्ग सांस को धक्का मार कर कहती है "इस आशीर्वाद के अलावा बुढ़िया तेरे पास कोई दूसरा आशीर्वाद नहीं है।

सरस्वती की यह घटिया हरकत पर सूरज को बहुत क्रोध आता है, लेकिन वह अपना गुस्सा बर्दाश्त कर लेता है।

और उसी रात जब अचानक उसकी मां का देहांत हो जाता है, तो वह अपनी मां का अंतिम संस्कार करके सरस्वती को हमेशा के लिए छोड़कर हिमालय की पहाड़ियों में चला जाता है और कुछ महीनो बाद गांव के किसी व्यक्ति से सरस्वती को पता चलता है कि सूरज की मौत हो गई है।

सूरज की मौत की खबर पूरे गांव में फैलने के बाद जब सरस्वती सुहागनों जैसा सिंगार करती थी, तो उसकी पीठ पीछे और सामने गांव की औरतें गांव के वहीं युवक बुजुर्ग उसका मजाक उड़ाते थे, जो कभी उसकी खूबसूरती के दीवाने थे और उसे आवारा बदचलन औरत समझ कर अपने घर की महिलाओं को उससे दूर रखते थे।

बिना सजे सवेरे बिना सिंगर के सरस्वती अब पहले जैसी खूबसूरत नहीं लगती थी, इसलिए गांव की कुंवारे लड़कों ने भी उसके घर का चक्कर काटना छोड़ दिया था।

जब धीरे-धीरे विधवा सरस्वती बुढ़िया हो जाती है और बुढ़ापे में उसकी सारी सुंदरता खत्म हो जाती है तो "सरस्वती को अपनी सास का आशीर्वाद समझ में आता है कि अगर मैं सदा सुहागन रहती तो कम से कम अपने सिंगर के पीछे अपना बुढ़ापा तो छुपा लेती है, और सदा सुहागन होने के बाद दुनिया के सामने भाग्यशाली कहलाती है।"

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4 Comments

Wah bahut sundar

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Abhinav ji

02-Nov-2023 08:00 AM

Nice

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Mohammed urooj khan

01-Nov-2023 09:24 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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