कन्या रत्न
लघु कथा - **कन्या रत्न**
मेघा काफी पढ़ी लिखी,सुंदर, सुशील और संस्कारी लड़की थी ।जितनी सुंदर भगवान ने उसे रूप रंग दिया था उतना ही उसके गुण और व्यवहार भी था।स्कूल , कॉलेज,घर और मोहल्ले में सबकी वो बड़ी चहेती थी। जरुरत पड़ने पर वो जरूरत मंद की यथा संभव मदद भी करती थी। कुशाग्र बुद्धि और तुरंत किसी समस्या का हल निकालने में वो माहिर थी।उसके माता पिता उसकी तारीफ करते अघाते नही थे ।
उसकी मां कहती थी बेटी तुम बेटा पैदा होते होते बेटी कैसे पैदा हो गई।तुमने तो बेटा की भी सारी कमी पूरी कर दीया है। हमारा सौभाग्य की तुम्हारी जैसी कन्या रत्न मेरी बेटी है।
मेघा हंस के कहती _ मां इसमें मेरा कुछ नही है सब तुम्हारे कोख का सुफल हूं । तुम्हारे नेक कर्मो का फल हूं।बस तुम्हरा और पापा का आशीर्वाद बना रहे मुझ पर।
जब उसका विवाह हुआ उसकी मां ने अपने दामाद से रोते हुए कहा दामाद जी मैं अपने कलेजे के टूकड़े को आपको दे रही हूं ।इसको संभाल कर रखिएगा।
मेघा अपनी मां के गले से लगकर हिचकियां लेकर रोने लगी।बड़ी मुश्किल से उसके पापा ने उन दोनो को चुप कराया और कहा मेघा की मां बिदाई में देरी हो रही है तुम रोओगी तो बेटी भी रोएगी ।उसे प्यार से बिदा करो।
अपने ससुराल जाकर मेघा ने कुछ ही दिनों में सबका दिल जीत लिया।मोहल्ले वालों और रिश्तेदारों ने उसकी सास से कहा बड़ा नसीब वाली हो जितेंद्र की मां जो तुम्हे मेघा जैसी चांद जैसी सुंदर और गुणवती बहु मिली है।
दो साल बाद मेघा को एक अपने जैसी ही सुंदर बेटी पैदा हुई।उसका पति जितेंद्र तो अपनी बेटी को देख कर बहुत खुश हुआ ।बाकी घर वाले भी बड़े खुश थे।लेकिन उसकी सास उमा देवी को बेटी पैदा होना अच्छा नही लगा वो बेटा चाहती थी ।जितेंद्र उनका इकलौता बेटा था।इसलिए वो पोता चाहती मेघा के ससुर ने समझाया अब जमाना बदल गया जितेंद्र की मां ।अब बेटा बेटी में कोई फर्क नही रह गया है।
लेकिन उमा देवी को तो पोता ही चाहिए था।
चौथे साल मेघा फिर गर्भवती हुई । इस बार उसकी सास ने कहा मैं डॉक्टर से जांच करवाऊंगी अगर कोख में बेटी हुई तो मैं उसको गिरवा दूंगी ।सुनकर मेघा बहुत दुखी हुई।जितेंद्र भी चिंतित हो गया।
उसने अपनी मां को समझाने का प्रयास किया - मैं क्या तुम भी पोती पोता के चक्कर में पड़ गई हो । बेटा भी हुआ अगर नालायक निकला तो तुम क्या करोगी।मेघा भी एक लड़की है लेकिन देखो वो किसी भी लड़के से किसी मामले में कम नहीं है।उसने कितना जल्दी घर को संभाला है।उसके आने से घर में रौनक आ गई है।घर में बरक्कत हो रही है।तुम सबका कितना ख्याल रखती है।कौन सा गुण नहीं है जो मेघा में नही है।
मां तुम बेटा हो या बेटी मेघा का गर्भ नही खराब करवाना।
जितेंद्र ने अपनी मां को समझाते हुए कहा।
करीब सातवे माह में मेघा को पेट में काफी दर्द होने लगा।धीरे धीरे उसका दर्द असहनीय होने लगा ।वो अपना पेट पकड़कर चिल्लाने लगी।जितेंद्र अपने काम पर जाने के लिए निकल रहा था लेकिन अपनी पत्नी का हाल देखकर उसने मेघा को तुरंत अपनी गाड़ी से अस्पताल पहुंचाया।
लेडी डॉक्टर ने तुरंत जांच कर बताया आपकी पत्नी की बच्चे दानी खुल रही है ।समय से पहले ऐसा होना खतरे से खाली नहीं है।ऐसे में बच्चा खराब हो सकता है या जच्चा बच्चा दोनो की जान को खतरा हो सकता है।
सुनकर जितेंद्र का होश उड़ गया।उसने हाथ जोड़कर कहा डॉक्टर साहब किसी तरह मेरी पत्नी और बच्चा दोनो को बचाइए।पैसे की चिंता आप मत करे।
आप चिंता न करे लगता है आपकी पत्नी को चोट लगी है या कोई गर्म पदार्थ खा ली है जिससे समय से पूर्व प्रसव वेदना शुरू हो गई।फिर भी हम लोग पूरी कोशिश करते हैं। दोनो को बचा ले आप एग्रीमेंट पेपर पर साइन कर दे और पेमेंट जमा करा दे।
चार घंटे काफी मेहनत के बाद डॉक्टर ने कहा आपकी पत्नी को बचा लिया गया है लेकिन आपके बेटे को नहीं बचाया जा सका ।जितेंद्र बहुत दुखी हुआ ।यह जानकर और भीं दुख हुआ की होने वाला बच्चा बेटा था।जब उसकी मां को पता चला की जो गर्भ खराब हुआ है वो बेटा था उसने अपना माथा पीट लिया। उसकी पड़ोसन मिसेज शर्मा ने जो उसकी बहू का लक्षण बताया था उससे उसे लगा था गर्भ में पल रहा बच्चा बेटी ही होगी ।इसलिए उसने चोरी से अपनी बहु के खाने में गर्म दवा खिला दी थी ।अब उसके पास पछताने के अलावा कोई उपाय नहीं था।
अपनी बहु के घर आने पर उसने सबके सामने अपना गुनाह मान लिया और सबसे रो रो कर माफी मांगने लगी।सुनकर घर के सारे लोग उससे काफी नाराज हुए।
मेघा के ससुर ने उसे डांटते हुए कहा दुनिया कहा से कहा पहुंच गई है लेकिन अभी भीं वही दकियानुसी विचार और सोच में जी रही हो ।तुम हत्यारी हो ।तुम्हे माफ़ी बहु ही दे सकती है।
उमा देवी अपनी बहु से माफी मांगने लगी।
मेघा ने कहा अगर आपको अपनी गलती का एहसास हो गया है और आइंदा ऐसा नहीं करेंगी तो जाइए मैं आपको माफ करती हूं।लेकिन आपकी जगह कोई और दूसरा होता तो मैं उसे जेल भेजवा देती कन्या भ्रूण हत्या का आरोप लगाकर।
लेखक_ श्याम कुंवर भारती
बोकारो,झारखंड
Mohammed urooj khan
11-Nov-2023 11:25 AM
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