काली दुल्हन
लघु कथा _ काली दुल्हन।
दुर्गेश दास को अभी अभी रेलवे में लोको पायलट के रूप में नौकरी लगी थी।घर वाले बहुत खुश थे।चलो काफी मेहनत और मशक्कत के बाद दुर्गेश को सरकारी नौकरी तो मिली।
नौकरी मिलते ही अब लड़कियो के रिश्ते की भरमार होने लगी।हर लड़की का पिता चाहता है उसकी बेटी का विवाह ऐसे घर में हो जहा नियमित आमदनी हो ताकी बेटी को जीवन में कोई कठिनाई न हो।अगर सरकारी नौकरी वाला लड़का मिल जाए तो बात ही क्या है।सोने में सुहागा हो जाएगा।
दुर्गेश दास ने कई लड़कियों में से एक सावली रंग की लड़की बृजबाला का पसंद किया।घर वाले बड़े आश्चर्य करने लगे।उसकी मां ने कहा बेटा जब इतनी सुंदर सुंदर लड़कियों का रिश्ता आया हुआ है तो तुम एक सावली लड़की से शादी करना चाहते हो।उसे कही भी लेकर आओगे जाओगे तो लोग तुम्हरा मजाक उड़ाएंगे। गाव वाले और मित्र रिश्तेदार भी पसंद नही करेंगे।उनको लगेगा जरूर तुममें ही कोई खोट होगी तभी तुमने एक काली लड़की से शादी किया है।
दुर्गेश ने कहा_ मां जिसको जो कहना है कहने दो मैं तो एक बार जरूर इस लड़की को देखना और मिलना चाहता हूं।
मजबूर होकर घरवालों ने उसी लड़की को देखने जाना पड़ा।
सब लोग बृजबाला के घर पर पहुंच गए । वहा उन सबका खूब आवा भगत हुआ।जब लड़की को देखने के लिए लाया गया।उसे देखते ही उसके सारे घरवाले मुंह बिचकाने लगे।कितनी काली लड़की है । इसे तो दुर्गेश जरूर ना बोल देगा।फोटो में कुछ और बात थी ।लेकिन यहां तो वो खुद दिख रही है कितनी काली है।
लड़की वाले कुछ कहते इससे पहले दुर्गेश ने कहा _ मैं लड़की को पसंद या ना पसंद नही करूंगा।यदि लड़की ने मुझे पसंद किया तो मैं हर हाल में इसी लड़की से विवाह करूंगा।
उसकी बात सुनते ही बृजबाला और दोनो पक्ष के लोग आश्चर्य से उसे देखने लगे।
तभी बृजबाला ने कहा _ मैं कुछ भी कहने से पहले इनसे एकबार अकेले में बात करना चाहती हूं।
दोनो घर वाले राजी हो गए।
बृजबाला दुर्गेश को अपने कमरे में लेजाकर एक कुर्सी पर बैठाया और कहा _ अब तक मुझे दर्जनों लड़के नापसंद कर चुके हैं। इसी कारण मेरी पढ़ाई चलती रही और अब पीएचडी भी कर चुकी हूं।
हर बार की तरह इस बार भी मुझे लगा आप मुझे ना पसंद कर देंगे।फिर इस बार भी भी शादी होते होते रह जायेगी।
लेकिन आपने तो मुझे आश्चर्चकित करते हुए मुझपर ही हां ना की जिम्मेवारी सौंप दिया ऐसा क्यों किया आपने।
मैं लड़कियो को बहुत सम्मान करता हूं। जहा तक आपको पसंद करने का सवाल है। भला मैं कौन होता हूं आपको पसंद ना पसंद करने वाला।मान लीजिए मैने आपको पसंद कर भी लिया लेकिन आपको मैं पसंद नही आया तो जी जिंदगी भर हमारे संबंध में कड़वाहट बनी रहेगी।यदि आपको ना पसन्द कर दिया तो आपका ही नहीं एक नारी का अपमान होगा ।आपके d को ठेस लगेगी।वो मुझसे सहन नही होगा।
काला और गोरा रंग मेरे लिए मायने नहीं रखता है। इंसान का दिल साफ होना चाहिए।वरना गोरे रंग वाले भी दिल के बहुत काले होते है।
इसलिए आप ही मुझे पसन्द या ना पसन्द करे।
दुर्गेश की बात सुनकर बृजबाला भाव विभोर हो गई।उसकी आंखो से आंसू बहने लगे।उसके मुंह से शब्द नही निकल रहे थे।
उसने कहा भला आप जैसे महान विचारों वाले लडको को कौन लड़की इन्कार कर सकती है।मैं तो धन्य हो जाऊंगी आपको अपने पति के रूप में पाकर।मेरो तरफ से हां है ।आप मुझे बहुत पसंद है।
और हा मेरी एक इक्षा है आपके चेहरे पर दाढ़ी और मूंछ बहुत सूट करते हैं आप हमेसा ऐसे ही रहना मुझे अच्छा लगेगा।
उसकी बात सुनकर दुर्गेश हसने लगा।उसकी हंसी बाहर बैठक खाने में बैठे दोनो परिवार के लोगो के कानो तक पहुंची सबने उस हंसी को हां मान लिया और मिठाइयां बंटने लगी।
बृजबाला ने विवाह के बाद घर को स्वर्ग जैसा सुंदर बना दिया।कुछ दिनो में वो एक कॉलेज में प्रोफेसर हो गई।
उसके सास ससुर देवर , ननद और जेठ कोई ऐसा नही था जो उससे प्रभावित नही था।सभी उसे घर की लक्ष्मी कहते थे।
यह कहानी मुझे खुद दुर्गेश ने दाढ़ी रखने का कारण पूछने पर मेरे अस्पताल में नाइट ड्यूटी में बताया था जब वो अपनी पत्नी का इलाज कराने आया था।
लेखक
श्याम कुंवर भारती
बोकारो, झारखंड
Mohammed urooj khan
11-Nov-2023 11:29 AM
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