मंथरा




लघु कथा - मंथरा

सुशीला अपनी सास की बहुत प्यारी और दुलारी बहु थी ।होती क्यों नही इतनी पढ़ी लिखी होने और नौकरीशुदा के बाद भी वो अपनी सास की हर बात मानती थी। उसकी खूब सेवा सत्कार करती थी।उसकी सास तो ऐसी सुशील बहु पाकर फूले नहीं समाती थी।वो भी आज के ज़माने में।
घर तो मानो स्वर्ग ही बन गया था।हो भी क्यों नही जब सास बहू का गठबंधन इतना मजबुत था।कोई राजनीतिक पार्टी का गठबंधन थोड़े ही था जो छोटी छोटी बातों पर अपने स्वार्थ सिद्धी हेतु टूट जाते हैं।
सुशीला के ससुर रामदीन पाण्डेय और पति अभिनव पाण्डेय भी चैन की सांस लेते थे । वे दोनो भी बड़े खुश थे की चलो घर की दोनो महिलाओ में इतना प्रेम है तो उन्हें किस बात की चिंता थी।वरना दोनो को निर्णय लेने में दिक्कत होती की दोनो किसका साथ दे और किसका न दे।एक तरफ मां दूसरी तरफ पत्नी।उसी तरह एक तरफ पत्नी और दूसरी तरफ बहु।लेकिन इसकी कोई चिंता दोनो बाप बेटे को नहीं थी।वरना दूसरे घरों में हमेशा सास बहू की टकराहट की वजह से हमेसा महाभारत होना आम बात हो गई है।फिर परिवार को टूटने और चूल्हा चौकी अलग होने में देर नहीं लगती है।
लेकिन उनके मोहल्ले में रहने वाली पड़ोसन जिया देवी को उन दोनो सास बहू के अटूट गठबंधन को देखकर कलेजे पर सांस लोटता था।उसकी बहू जानकी से उसकी एक न बनती थी। जीया देवी को दूसरे के घरों में आग लगाने और एक दूसरी औरतों को लड़ाने भिढ़ाने में महारत हासिल था।
ऐसे लोगो का अपना घर कैसे शांतिमय हो सकता है।
जीया देवी हरदम मौके की तलाश में थी कब सुशीला और उसकी सास कमला देवी में छत्तीस का आंकड़ा बना दे और उसके कलेजे में ठंडक पहुंचे।
एक दिन सुशीला अपने ऑफिस से शाम को अपने घर आ रही थी।तभी जीरा देवी ने उसे देख लिया ।उसे अच्छा मौका मिल गया क्योंकि सुशीला अकेली थी।तुम कितना मेहनत करती हो ।दिनभर ऑफिस में काम करती हो ।फिर घर का भी सारा काम करती हो ।जबकि तुम्हारी सास दिनभर मोहल्ले में घूम घूम कर तुम्हारी शिकायत करते फिरती है की तुम एक निकम्मी और नकचढ़ी बहु हो।देखो तुम कितनी कमजोर लग रही हो । हाय राम कितनी कसाई सास है तुम्हारी।उसे जरा भी दया नही आती है तुम पर।खुद तो खा खा कर मोटी हो गई है और अपनी बहु का जरा भी ख्याल नही करती है।
जीया देवी ने खूब नमक मिर्च लगाकर सुशीला को उसकी सास की झूठी शिकायत कर आग लगाने की कोशिश की।लेकिन सुशीला जिया देवी को जानती थी।वो मन ही मन मुस्कुराने लगी।
क्या बोल रही है आंटी जी मेरी सास मेरी शिकायत करते फिरती है।मैं आज ही उनकी खबर लेती हूं । इतना कहकर वो अपने घर चली आई।घर आकर उसने अपनी सास को जिया देवी की सारी बात बता दिया ।सुनकर उसकी सास हसने लगी ।उसका काम ही यही है।वो हमेसा इसी फिराक में रहती है की कैसे दूसरो के घर में आग लगाए।
लेकिन मां उनको सबक सिखाना बहुत जरूरी है ताकि फ़िर कभी किसी के घर में झगड़ा न लगा सके। सुशीला ने गंभीर होकर कहा।
एक दिन छुट्टी का दिन था। सुशीला जीरा देवी पर नजर रखे हुए थी की वो कब अपने घर से बाहर निकले।
जैसे ही जिया देवी अपने घर से बाहर निकली ।सुशीला एक कीमती साड़ी और एक चांदी की पायल लेके उसके घर में चली गई।
उसने बाहर से ही आवाज दिया जिया आंटी।उसकी आवाज सुनकर जिया देवी की बहु जानकी बाहर निकली।अरे सुशीला तुम बोलो क्या काम था।सुशीला ने बैग को पीछे छिपाते हुए कहा _ अरे कुछ नही तुम्हारी सास नही है क्या ।
नही सास तो नही है तुम मुझे बताओ उनसे क्या काम था।
छोड़ो बाद में आ जाऊंगी जब तुम्हारी सास आ जायेंगी।सुशीला ने कहा।
तुम मुझसे कुछ छिपा रही हो देखो सच सच बताओ क्या काम था उनसे।
जानकी ने जिद किया।
तुम्हारी सास ने ये साड़ी और पायल खरीद कर मुझे दिया था और कहा था जब तुम घर पर नही रहो मैं उनको धीरे से दे दूं।लेकिन लगता है मैं गलत समय पर आ गई अब मैं चलती हूं।इतना कहकर वो वापस जाने लगी।
तभी जानकी ने उसके हाथ से वो पॉकेट छीन लिया और कहा अब तुम जाओ सुशीला मैं अपनी सास को दे दूंगी।
सुशीला वापस आ गई।
करीब आधे घंटे बाद जिया देवी के घर महाभारत का युद्ध छिड़ चूका था जिसकी आवाज सुशीला के घर तक आ रही थी।
थोड़ी देर में पूरा मोहल्ला जिया देवी के घर के पास जमा हो गया था।
सुशीला ने बीच बचाव करते हुए कहा _ जानकी मैने तुमसे झूठ बोला था ।तुम्हारी सास ने मुझे साड़ी और पायल नही दिया था ।मैं इनकी झगड़ा लगाने की बुरी आदत को छुड़ाने के लिए ऐसा किया था।फिर उसने पूरी बात बताई।सुनकर सारे मोहल्ले वाले जिया देवी को कोसने लगे।
छी छी कितनी बुरी बात है जिया देवी दूसरो के घर में झगड़ा लगाने की आदत।अब देखो तुम्हारे ही घर में वही आग लगते लगते बची।यदि सुशीला ने खुद आकर सच्चाई नही बताई होती।लेकिन तुम तो आग लगाकर मजा लेते रहती थी।
जीया देवी को बहुत शर्मिंदगी हुई।उसने सबसे माफी मांगा और आइंदा ऐसी गलती न करने का वचन दीया।
उसने अपनी बहु से भी लडना झगड़ना छोड़ दिया।अब वो अपनी बहु को अपनी बेटी से भी ज्यादा प्यार करने लगी थी ।जानकी भी उसे अपनी मां मानने लगी थी।

लेखक_ श्याम कुंवर भारती
बोकारो ,झारखंड


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1 Comments

Mohammed urooj khan

11-Nov-2023 11:31 AM

👌🏾👌🏾👌🏾

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