कर्तव्य
लघु कथा_ कर्तव्य
आलोकनाथ जज की कुर्सी पर विराजमान थे।मुजरिम के कटघरे में उनकी पत्नी अंजना देवी और बेटा प्रभात खड़ा था।
आलोक नाथ बड़े असमंजस में थे। फैसला किसके हक में सुनाए।एक तरफ उनका अपना परिवार खड़ा था दुसरी तरफ उनके जज के पद की गरिमा और न्याय देने का कर्तव्य ।ऐसी अवस्था में इंसान किंकर्तव्यमूढ़ हो जाता है।आलोक नाथ ने दोनो पक्ष के वकीलों की दलीलें सुनी।सारे गवाहों के बयान सुने और सारे सबूत देखे जो प्रत्यक्ष रूप से उनकी पत्नी और बेटे को दोषी करार दे रहे थे।आलोक जानते थे कि यह मुकदमा बिल्कुल झूठा और बेबुनियाद है।लेकिन प्रत्यक्ष प्रमाण चीख चीख कर कह रहे थे की उनकी पत्नी और बेटा एक औरत और उसके छोटे बेटे की कार एक्सीडेंट में मृत्यु के दोषी थे।जबकि एक्सीडेंट उनके नए ड्राइवर ने जानबूझकर उनके विरोधियों के कहने पर किया था । वहा मौयुद गवाह भी विरोधियों के ही लोग थे।एक्सीडेंट कर वो फरार हो गया था और सारे गवाहों ने दोष उनकी पत्नी और बेटा पर मढ दिया था।उनका बेटा कार को एक्सीडेंट वाली जगह से हटाने का प्रयास कर रहा था और उनकी पत्नी कार को धक्का दे रही थी।ताकि शायद एक्सीडेंट होने वालो की जान बचाई जा सके उन्हें अस्पताल पहुंचाया जा सके।लेकिन इसी बीच उनका फोटो और वीडियो बना लिया गया था ।जिसे सबूत के तौर पर पेश किया गया था।
आलोक नाथ ने अंत में अपना फैसला सुनाते हुए कहा _ चूंकि अब तक कार का ड्राइवर फरार है। वह सरकारी नही बल्कि दोषियों का निजी नया ड्राइवर था।इसलिए जांच कर्त्ता पुलिस टीम को अदालत यह आदेश देती है की उस ड्राइवर को तलाश कर एक सप्ताह के अंदर अदालत में हाजिर किया जाय ताकि सच सामने आ सके । साथ ही इसमें शामिल सभी दोषियों कि भी तलाश की जाय ।तब तक दोनो दोषियों को पुलीस हिरासत में रखा जाय।
जज साहब का फैसला सुनकर कोर्ट तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।चूंकि यह मामला एक ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ जज के परिवार का था ।इसलिए सरकार और पुलिस प्रशासन पर जजों ने मिलकर अपना दबाव बनाया ताकी दोषियों को शीघ्र गिरफ्तार किया जाय वरना निर्दोष लोगो को सजा मिलेगी जो न्याय संगत नहीं होगा।
पुलिस की जांच में उस ड्राइवर का मृत शरीर पाया गया।उसकी जेब से एक मोबाइल मिला जिसमें एक नंबर पर एक्सीडेंट से पहले और बाद में कई बार बात की गई गई थी। उस नंबर की जांच करने पर एक अपराधी का मिला जिसका एक आदमी उम्र कैद की सजा काट रहा था।जिसका फैसला जज आलोकनाथ ने सुनाया था।ड्राइवर के बैंक खाते में पांच लाख रुपए ट्रांसफर किए गए थे।
पुलिस की कड़ी जांच पड़ताल में सारा मामला सुलझ गया।दोषियों को जज आलोकनाथ ने हत्या के आरोप में उम्र कैद की सजा सुनाई।अपनी पत्नी और बेटा को पुलिस कस्टडी से मुक्त करा दिया।
घर आकर उनकी पत्नी और बेटा ने आलोक नाथ को खूब खरी खोटी सुनाया।आप किस बात के जज है ।अपनी ही पत्नी और बेटा को हिरासत में डलवा दिया जबकि हम दोनो निर्दोष थे।
आलोकनाथ ने समझाया तुम दोनो मुझे एक पति और पिता के रूप में देख रहे हो इसलिए मुझे दोष दे रहे हो।जरा जज के रूप में रखकर देखो और बताओ मैने क्या गलत और क्या सही किया।
लेकिन दोनो ने उनसे बातचीत बंद कर दिया। जबकि सारे अखबारों और मिडिया में उनकी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा की बढ़ चढ़कर प्रशंसा की जा रही थी।
श्याम कुंवर भारती
बोकारो,झारखंड
Mohammed urooj khan
11-Nov-2023 11:31 AM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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