बेटियां बेटो से कम नही
लघु कथा _ **बेटियां बेटो से कम नही।**
प्रिया को लगातार तीन बेटियां हुई ।मगर उसकी सास और ससुर को बेटो की चाहत थी।उसकी सास हमेशा प्रिया को बेटा पैदा नहीं करने के लिए ताना मारती थी।उसका जीना मुहाल कर दी थी।उसका पति बिनोद भी अपनी मां का ही साथ देता था।चुपचाप अपनी पत्नी और बेटियों का अपमान और ताना देखता रहता था। जिससे पिया अंदर ही अंदर घुटते रहती थी।पति का यह व्यवहार उसे असहन शील होता जा रहा था। तीनो बेटियां भी अपने से ज्यादा अपनी मां की यह दुर्दशा देखकर दुखी होती रहती थीं।
एक दिन अचानक प्रिया की सास ने उसके पति बिनोद का विवाह एक दूसरी लड़की से कर दिया। प्रिया को बहुत बड़ा आघात लगाn । पड़ोस की औरतों ने उसे पुलिस केस करने की सलाह दिया लेकिन उसने ऐसा नही किया।जब उसका नसीब ही खराब है तो केस मुकदमा करने से क्या फायदा।आखिर तीन बेटियां लेकर वो कहा जायेगी।
कुछ सालो बाद बिनोद की दूसरी पत्नी से दो बेटे पैदा हुए ।उसकी सास और ससुर बहुत खुश हुए।बिनोद की दूसरी पत्नी बिमला का बहुत मान जान होने लगा।प्रिया की उपेक्षा तो शुरू से हो रही थी।बेटियो का भी वही हाल था।
बिमला का मन धीरे धीरे इतना बढ़ गया की प्रिया के साथ साथ अब वो अपने सास ससुर और पति की भी कोई इज्जत नहीं करने लगी। हमेशा बात बात पर सबसे लड़ते रहती थी।मां को देखा देखी उसके दोनो बेटे भी उदंड और बदतमीज होते जा रहे थे।जबकि उन दोनो की पढ़ाई लिखाई और लालन पालन बेटियो से बेहतर हो रहा था।इसके ठीक विपरीत प्रिया और उसकी बेतिया बहुत ही शालीन सभ्य और संस्कारी थी।उनका व्यवहार सबके साथ बहुत मिलनसार था।सरकारी स्कूल में पढ़ाई करने के बाद भी तीनो बेटियां पढ़ाई में सबसे अव्वल थी। हमेशा प्रथम आ रही थी ।वही दोनो बेटे पढ़ाई लिखाई और व्यवहार में सबसे गए गुजरे थे। अत्यधिक लाड प्यार से दोनो और बिगड़ गए थे।
अब सभी बच्चे बड़े हो चुके थे। लड़कियां हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही थी।उनके अच्छे मार्क्स की वजह से उन्हें प्रतिष्ठित कॉलेज में एडमिशन मिल गया।लेकिन दोनो बेटो को प्राप्तांक इतना कम था की कोई भी नामी गिरामी कॉलेज उनका दाखिला लेने को तैयार नहीं था।बड़ी मुश्किल से डोनेशन देकर एक प्राइवेट कोलेज में दाखिला मिल पाया।
एक बार बिनोद और उसकी मां एक रिश्तेदार के यहां से वापस लौट रहे थे।लेकिन रास्ते में उनका एक्सिडेंट हो गया। उन दोनो को अस्पताल पहुंचाया गया।जैसे ही प्रिया को पता चला वो रोते हुए अपनी तीनो बेटियो को लेकर अस्पताल पहुंच गई।और उन दोनो का देखभाल करने लगी।
लेकिन बिमला को जैसे कोई फर्क ही नहीं पड़ा। न तो वो गई न उसके दोनो बेटे गए अस्पताल अपनी दादी और पिता को देखने गए। खून ज्यादा बह जाने की वजह से खून की जरूरत थी।उसकी तीनो बेटियो ने एक एक यूनिट खून बेहिचक दे दिया। जबकी बिमला सोच रही थी अच्छा है दोनो इसी बहाने मर जाएं तो उनकी सारी संपत्ति हथिया कर प्रिया को उसकी बेटियो सहित घर से बाहर निकाल दूंगी ।
लेकिन बेहतर इलाज और प्रिया और उसकी बेटियो की अच्छी देख भाल से दोनो जल्दी ही ठीक होकर घर आ गए।
घर पर भी प्रिया और उसकी बेटियो ने दोनो की देख भाल और सेवा सत्कार में कोई कमी नहीं किया।लेकिन बिमला और उसके बेटे उनके पास झांकने तक नही आए।यह देखकर बिनोद और उसकी मां को बहुत दुख हुआ।उन्हे अपनी गलती का एहसास होने लगा था।
बेटो के चलते सबने दूसरी शादी का जो योजना बनाया था वह बहुत ही गलत था।प्रिया और उसकी बेटियो ने बेटो से बढ़कर काम किया है।
उन दोनो ने प्रिया और उसकी बेटियो से माफी मांगी।ससुर ने भी बेहद अफसोस जताया।
अब बेटियो को सबने सर आंखों पर बैठाया।घर अब एक मंदिर बन चूका था।आगे चलकर तीनो बेटियां बहुत बड़ी अफसर बनी और कुल खानदान का नाम बढ़ाया।शादी होने के बाद भी जब भी जरूरत पड़ी अपने माता पिता के लिए भागी चली आती थी।
लेखक _
श्याम कुंवर भारती
बोकारो झारखंड
Mohammed urooj khan
11-Nov-2023 11:31 AM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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