मनहूस कोठी भाग - 5



कहानी _ **मनहूस कोठी **

भाग _ 5 

लेखक _ श्याम कुंवर भारती

शाम तक उस कोठी में बहुत कुछ बदलाव हो गए।जितने पेड़ कोठी पर छाया कर रहे थे सबकी छंटाई कर दी गई।
आंगन को तोड़कर बड़ा कर दिया गया मगर मरम्मत नहीं हो पाई ।काफी मात्रा में सूरज की धूप आने लगी थी ।हवा भी प्रचुर मात्रा में आने लगी थी ।
कोठी के सामने शमी का पौधा और बाई तरफ तुलसी का चौरा बना दिया गया। सारी कोठी में गंगा जल का छिड़काव किया गया । फर्स को फिनायल से धोकर साफ किया गया ।रसोई घर में गाय के गोबर से नाम मात्र की लिपाई की गई।क्योंकि पूरी कोठी पक्की इंटो और पत्थरो से बनी हुई थी।
आंगन में ही अनुष्ठान का निर्णय लिया गया ।
कोठी का पहला मालिक का रिश्तेदार एक नौकर शाम तक गांव से पहुंच गया।
बाबा ने राम जी से कहा _ आधी रात को जब अनुष्ठान होगा तब मैं इस कोठी में निवास करनेवाली सभी प्रेत आत्माओं को बुलाऊंगा कोई भी डरेगा नही ।फिर मैं जैसा कहूंगा करते जाना है।
पहले ये अनुष्ठान हो जाए फिर मैं आगे का काम बताऊंगा जिसे करते रहना है।
राम जी ने कहा ठीक है बाबा ।
रामजी का पूरा परिवार रात के अनुष्ठान की तैयारी में लगा हुआ था ।बाबा ने कहा _ मां काली के लिए नहा धोकर भोग बनाना है।खीर, पुड़ी, हलवा और मिठाई ।प्रभा देवी अपनी बहुओं के साथ तैयारी में लगी हुई थी।
उनके दोनो बेटो पूरी कोठी की साफ सफाई में लगे हुए थे ।
लेकिन सबको पता नही क्यों लग रहा था कोई उनके साथ साथ चल रहा है।उनकी हर हरकत पर नजर रख रहा है ।यह सब देखकर सबके रोंगटे खड़े हो रहे थे ।लेकिन काली चरण बाबा के आने से सबका हौसला बढ़ा हुआ था।
अब उनका भय थोड़ा काम हो गया था।फिर किसी अनहोनी की आशंका से सभी चिंतित थे।क्योंकि पिछली रात जो उन सबके साथ बिता था उसको याद करके सबके मन में भय से एक सिहरन सी उठ जाती थी।
ठीक आधी रात को सबके खाने पीने के बाद बाबा ने सबसे पहले आंगन में मां काली की फोटो स्थापित किया और मां का पूजन कर उनको प्रसाद में खिर ,पुड़ी , हलवा,मिठाई और फल फूल चढ़ाया।
इसके बाद हवन शुरू हुआ जिसमे रामजी का पूरा परिवार सामिल हुआ ।हवन का धुंआ धीरे धीरे पूरी कोठी में फैलने लगा था।कुछ धुंआ ऊपर आसमान की तरफ जाकर पूरे वातावरण को सुगंधित बना रहा था।
हवन के बाद बाबा ने कद्दू और भतुआ का बलि दिया ।
इसमें बाबा के दोनो चेले उनकी मदद कर रहे थे।
इसके बाद बाबा ने कहा _ अब मैं आत्माओं को बुला रहा हूं कोई डरेगा नही ।मैने सबको सुरक्षित कर दिया है ।कोई आत्मा किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा पायेगी।
इसके बाद बाबा ने मंत्र पढ़ना शुरू किया।मंत्र पढ़कर बाबा ने चारो दिशाओं में अक्षत और सरसो फेंकते हुए कहा _ इस कोठी में निवास करने वाली सभी आत्माओं मेरे सामने आओ और बताओ क्यों तुम लोग यहां उत्पात मचा रही हो ।
कई बार आवाज देने के बाद भी जब कोई नही आया तो बाबा ने क्रोधित होकर ऊंची आवाज में कहा_ मुझे पता है तुम सब यही हो लेकिन सामने नही आ रहे हो ।अगर जल्दी सामने नही आए तो मैं सबको जलाकर भस्म कर दूंगा।
बाबा के इतने बोलते ही वहा जल रहे सभी दीपक टिमटिमाने लगे।तभी अचानक वहा तीन छाया प्रकट हुई ।सबके रोंगटे खड़े होने लगा ।
बाबा ने कहा _ तुम लोग डरो मत अपने वास्तविक रूप में आओ जब तक तुम लोग कोई उत्पात नही करोगे मैं किसी को कुछ नही करूंगा।
थोड़ी ही देर में एक छोटी लड़की ,एक बूढ़ी औरत और बहुत सुंदर और जवान लड़की प्रकट हुई ।सब देखकर हैरत में पड़ गए ।राम जी और उनका परिवार इन सबको पहले देख चूका था।
बाबा ने एक खाली जगह पर अक्षत फेंक कर कहा_ तुम तीनो यहां बैठ जाओ। वे तीनो वहा बैठ गई ।
तभी वहा बैठा नौकर उन तीनो को देखकर रोने लगा और बोला बाबा _ इनमे से एक मेरी पत्नी है और दोनो मेरी बेटियां हैं।कई साल पहले इनकी इसी कोठी में मृत्यु हो गई थी।
ठीक है बैठिए जब मैं बोलूंगा तब बोलना।
बाबा ने कहा _ अभी भी दो आत्माए बाकी है ।एक ब्रम्ह पिशाच और औरत भी है ।बाबा ने फिर उसी तरह चारो दिशाओं में अक्षत और सरसो फेंकते हुए कहा _ तुम दोनो आते हो या मै जबरजस्ती बुलाऊं।लेकिन फिर इसमें तुम दोनों को बहुत कष्ट होगा ।जल्दी हाजिर हो ।
 तभी अचानक हवन कुंड की अग्नि तेज हो गई और बाबा की तरफ बढ़ने लगी। बाबा ने तुरंत मंत्र पढ़कर उस पर फेंका और बोला _ मुझ पर जोर आजमाइस मत करना ।तुम चाहे जितने भी शक्तिशाली क्यों न हो मै तुम्हे तुम्हारी औकात दिखा दूंगा और कड़क कर कहा _ चुपचाप सामने हाजिर हो पिशाच ।
सबके रोंगटे खड़े होने लगे ।वहा का माहौल धीरे धीरे काफी डरवाना होता जा रहा था।
अचानक एक विशालकाय आकृति उपस्थित हुई उसके हाथ में बहुत बड़ी तलवार थी ।वो हवा में बाबा के गर्दन की तरफ बढ़ने लगी ।बाबा ने उसे मंत्र से वही हवा में रोक लिया और कहा _ तो तुम अपनी हरकतों से बाज नहीं आओगे तो लो भुगतो उतना कहकर बाबा ने अग्नि कुंड से जली हुई भभूत उठाकर सामने की ओर फेंका ।भभूत उस पर पड़ते ही वो जोर जोर से चिल्लाने लगा ।मैं तुम्हे छोडूंगा नही तांत्रिक । तू मेरा कुछ नही बिगाड़ सकता मैं ब्रम्हा पिशाच हूं ।तुम मेरी शक्तियों को नही जानता।
बाबा ने कहा _ मैं तुझे भी जानता हूं और तेरी शक्तियों को भी जानता हूं।लेकिन मेरे सामने तेरी एक न चलेगी । फिर उस पर भभूत फेंक कर कहा अपने रूप में आओ और शांति से बैठकर बताओ क्यों सबको सता रहे हो ।
अचानक एक भिमकाय शरीर उपस्थित हुआ ।धोती कुरता पहने हुए था।हाथो मे कीमती छड़ी थी ।रौबदार मूंछे ।पुराने जमाने के किसी जमींदार की तरह ।उसने कड़कड़ाए आवाज में कहा _ मुझे सबके सामने यहां बुलाकर तुमने अच्छा नही किया तांत्रिक ।मैं किसी की सुनने वाला नहीं हूं ।
तभी वहा बैठा पुराने कोठी के मालिक का रिश्तेदार लड़का बोला _ बाबूजी मेरा प्रणाम स्वीकार कीजिए और आराम से बैठ जाइए।
तू यहां क्यों आया भानुप्रताप ,जा चला जा यहां से। यहा मैं किसी को नही छोडूंगा ।सबको मार डालूंगा ।मेरी कोठी में मेरे अलावा कोई नहीं रह सकता।
उस लड़के ने कहा _ बाबूजी कोठी कब की बिक चुकी है।अब ये हमारी नही है।
तुम कौन होता है मेरी कोठी को बेचने वाला ।इसका मालिक मैं था और मैं ही रहूंगा ।समझा जा भाग जा यहां से । उस पिशाच ने दांत पीसते हुए गुस्से में कहा।
अब कोई बीच में नही बोलेगा ।सभी शांति से बैठे रहे जबतक मैं बोलने को न बोलूं बाबा ने कहा और फिर भभूत उस पिशाच पर फेंकते हुए कहा _ चुपचाप बैठ जाओ नही तो मैं तुम्हे जलाकर भस्म कर दूंगा ।
भभूत पड़ते ही पिशाच जोर जोर से चिघाड़ने लगा और शांति से बैठ गया और बोला बहुत जलन हो रही है मुझे मत जलाओ।
मैने तुम्हे पहले ही समझाया था ।लेकिन तुम तो अपनी ताकत दिखाने में लगे थे ।अब शांति से बैठो ।
बाबा ने उस बूढ़ी औरत की आत्मा से पूछा _ पहले तुम अपनी कहानी बताओ ।क्यों तुमलोग इस कोठी में आत्मा बनकर भटक रही हो ।क्यों सबको यहां रहने नही देती हो ।
इससे पहले तुम पिशाच जिस औरत की आत्मा को कही छिपाकर रखा है जब मैं बोलूं उसे मुक्त कर यहां ले आना नही तो तुम जान चुके हो मै क्या कर सकता हूं तुम्हारे साथ।
बाबा ने अपने शिष्यों से हवन में कुछ संमग्रिया डालने को कहा ।उनके डालते ही आग की ऊंची ऊंची लपटे उठने लगी ।
उस औरत की आत्मा ने बोलना शुरू किया _ बाबा हम लोग किसी को यहां रहने से कभी नही रोकती थी। हम सब तो चाहती थी कोई यहां रहे और हमारा बदला लेने में मदद करे।
ये पापी ठाकुर दुर्जन चौधरी ही सबको सताता और मारता था ।हम तीनो आत्माओं को भी यही सताता था।जिंदा रहते तो चैन से रहने नही दीया।अब मरने के बाद भी सताने से बाज नहीं आ रहा है।ये बहुत बड़ा पापी और दुष्ट आत्मा है बाबा ।

शेष अगले भाग _ 6 में 

लेखक_ श्याम कुंवर भारती
बोकारो, झारखंड

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7 Comments

Rupesh Kumar

18-Dec-2023 07:39 PM

Nice

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Gunjan Kamal

18-Dec-2023 05:43 PM

👌👏

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Khushbu

18-Dec-2023 05:08 PM

Nyc

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