Add To collaction

लेखनी प्रतियोगिता -05-Nov-2023 कविता

*ढलती सांझ*

तुम मेरी ढलती सांझ की बदली बन गई हो,
ढलता चंद्रमा रात उजीयारी बन गई हो ।

 जज्बात क्या लिखूं तुम तबस्सुम की लालिमा हो ।
मैं जलती आग तुम बदली पानी बरस गई हो ।

समुन्दर भी प्यासा रह गया गम ए तन्हाई में ।
आंसुओं का सैलाब जो पलकों से बह निकला ।

     *के,के,कौशल,* 
   इन्दौर, मध्यप्रदेश

   5
3 Comments

Gunjan Kamal

06-Nov-2023 09:51 AM

👏👌

Reply

Punam verma

06-Nov-2023 07:35 AM

Nice

Reply

Reena yadav

06-Nov-2023 02:02 AM

👍👍

Reply