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जरा संभलकर चलना अपने लक्ष्य की ओर

जरा संभलकर चलना अपने लक्ष्य की ओर

हर निराशा के पीछे छिपी होती है
एक नई आशा की किरणें
छोटी सी चिंगारी में भी
ज्वालाएं प्रबल भरी हुई होती है।
यह तो स्वाभाविक है सज्जनों
जीवन में हारना और जीतना
अगर मंजिल पाने की चाह है तो
जरा संभलकर चलना अपने लक्ष्य की ओर।
शक कभी न करना अपनी काबिलियत पर
चीटियां भी अनुशासित होकर चलती है
अनुकूल परिस्थितियां बन जाएं
ऐसा कर्म हमें करना होगा।
थकना मना है रुकना मना है
विफलताओं के आगे झुकना मना है
सफलताओं का बीज अपने कर्म से बोते जा
जरा संभलकर चलना अपने लक्ष्य की ओर।
बढ़ रही है स्वार्थ की भावना इस कदर
सभ्यता खोती ही जा रही है गांव और शहर में
ईश्वर की दृष्टि में हर व्यक्ति अनमोल है
धैर्य धारण करना सीखों अपने जीवन में।
कभी छायेगी बादल तो कभी होगी बारिश
कभी मिलेगी सुख तो कभी मिलेगी दुःख
चुनौती है ये वक्त की
जरा संभलकर चलना अपने लक्ष्य की ओर।

नूतन लाल साहू

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1 Comments

Gunjan Kamal

06-Nov-2023 03:41 PM

👏👌

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