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शरद पूर्णिमा

शरद पूर्णिमा

 शरद पूर्णिमा सोह सुहानी ,
सुबरन सांझ सजीली है  ।
नई नवेली नार सुहाती,
निर्मल वा सर्दीली है  ।

नीली चूनर ओड के आई ,
फरिया भी चमकीली है  ।
स्वेत धवल सी चोली पहिरे,
तन की वह पंछीली है ।

 केश मेघ नाग से फरकत,
भरली मांग सितारों की ।
सप्त सितारे झाला पहने ,
 नथनी शुक्र सितारे की ।

लख प्रीतम की प्रीत पुरातन ,
पति के अंगना डोल रही  ।
धीरे-धीरे दुल्हन सी वह,
चांद सा मुखड़ा खोल रही ।

 स्वरचित 
डॉक्टर रामभरोसा पटेल "अनजान"
छतरपुर म प्र

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4 Comments

RISHITA

12-Nov-2023 11:57 AM

Nice

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Punam verma

12-Nov-2023 08:35 AM

Very nice👍

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बेहतरीन

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