लेखनी कहानी -17-Nov-2023
समाधि जीवन में एक एकांत और ईश्वर के प्रति लगन को हम समाधि कहते हैं और समाधि का मतलब जीवन में हमारे सब मोह माया से दूर हम सबके ईश्वर से लगाव और ईश्वर की भक्ति को मन ज्ञान से लगाना है। आज हम सब जीवन में कहीं ना कहीं ईश्वर को मानते पूजते हैं किसी न किसी रूप में हम सभी ईश्वर की आराधना किसी न किसी रूप में करते हैं। संजय अपने परिवार में सबसे छोटा बेटा है। संजय के पिता एक ब्राह्मण पूजा पाठ करके घर परिवार का गुजारा करते हैं और संजीव कभी-कभी अपने पिता के साथ पूजा पाठ में हाथ बढ़ाने का काम करता है। संजय के पिता एक ईश्वर वादी और मन भावों में भगवान की उपासना में भक्ति में ध्यान लगाते थे। एक समय की बात है संजय अपने घर में बैठा हुआ था और उनके पिता शहर में किसी के पूजा पाठ में गये थे। संजय घर के बाहर खेल रहा था तभी उसके कानों में एक जोर-शोर से आवाज सुनाई दी वह आवाज में किसी बाबा के जयकारे की थी और बाबा विजय कार्य के साथ-साथ बाबा की समाधि लेने होने की उत्सव की भी हो रही थी तब संजय के दोस्त गांव में देखते हैं कि एक आश्रम में बाबा अपने कुटिया में ध्यान लगाए हुए हैं और सभी भक्त उनके उनकी जय जयकार कर रहे हैं संजय ने भी जानकारी के लिए पूछ लिया बाबा समाधि लेने जा रहे हैं समाधि क्या होती है। उसे आश्रम की एक बाबा के भक्त ने कहा बाबा भाव सिद्ध हैं और बाबा को अब अपने जीवन से मोह माया खत्म हो गई है और बाबा भगवान की भक्ति में अपने जीवन की समाधि लेंगे। और आप सभी आए और बाबा की समाधि में बाबा की भक्ति में पूर्ण की भागीदार बने। सभी बातें सरकार संजय अपने घर वापस आ जाता है और उधर संजय के पिता शहर से पूजा पाठ कर कर घर वापस लौट आते है। संजय अपने पिताजी को सभी बातें बताता है और पिताजी से पूछता है पिताजी यह बाबा समाधि क्यों ले रहे हैं और समाधि का और मतलब क्या है तो संजय के पिता संजय को बताते हैं बेटा उपासक भगवान के दो तरह के होते हैं एक तो मोह माया के साथ सांसारिक जीवन में पूजा पाठ करते हैं और जीवन यापन करते हैं और एक संन्यास के रूप में बाबा होते ही वह जीवन में केवल भगवान की भक्ति के साथ-साथ लोगों के कल्याण के लिए यज्ञ और पूजा उपासना करते हैं और वही जो जब अपने जीवन में मोह माया से व्यक्त हो जाते हैं सांसारिक जीवन चक्र को समझ जाते हैं और वह मोक्ष को प्राप्त करना चाहते हैं तो वह जीवन में जीते जागते ईश्वर की भक्ति के लिए अपना जीवन समाधि स्वरूप अर्पण कर देते है। संजय उत्सुकता से पूछता है तब पिताजी आप ब्राह्मण हैं और हम ब्राह्मण कुल में पूजा पाठ करती है तो हम समाधि से दूर हैं तब संजय पिता जी कहते हैं बेटा समाधि एक रहस्य और गुण रहस्य की बात है जो की हमें भी पूरी तरह नहीं पता बस हम भी यह जानते हैं कि जो लोग सन्यास व्रत हो जाते हैं और जिनके पास मोह माया का सांसारिक जीवन से पूर्ण विरक्ति हो जाती है। बस वही जो समाधि लेकर और ईश्वर को अपना सर्वस्व अर्पण कर देते हैं। समाधि जिंदगी और जीवन का एक पूर्ण विराम अध्याय होता है। समाधि भी जीवन और व्यक्ति का संस्कार कहलाता है। सच तो समाधि ही जीवन का एक जीवन के जीते चलते हम अपने आप को धरती मां की गोद में अपने आप को विलुप्त कर देते हैं।
Gunjan Kamal
22-Nov-2023 03:19 PM
👏🏻👌
Reply
Varsha_Upadhyay
18-Nov-2023 04:53 AM
Nice 👌
Reply