लेखनी कविता-17-Nov-2023
अजब सी हो गई है आजकल हालत मेरी कि अब मैं लोगों के नाम ही भूल जाता हूं।
मंजिल पर पहुंच कर बैठ जाता हूं ख़ामोश कि करना क्या था यह काम ही भूल जाता हूं।
याददाश्त तेज करने को भिगोकर रखता हूं मैं। लेकिन रखकर कहीं बादाम ही भूल जाता हूं।
हजारों शिकायतें सोच कर रखता हूं करने को पर उसकी मुस्कान से बातें तमाम भूल जाता हूं।
Gunjan Kamal
22-Nov-2023 06:11 PM
👏🏻👌
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𝐆𝐞𝐞𝐭𝐚 𝐠𝐞𝐞𝐭 gт
18-Nov-2023 02:44 PM
👌👌ishq ka rog gehrai se btati Hui kvita.
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Varsha_Upadhyay
18-Nov-2023 11:49 AM
Nice 👌
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