Rakesh rakesh

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लेखनी प्रतियोगिता -22-Nov-2023 अधूरा इंसान

"राधे श्याम आज आपकी नाइट ड्यूटी अस्पताल के बेसमेंट में है।" सुपरवाइजर प्रवीण झा बताता है


"आज सर अस्पताल के गेट या किसी वार्ड में ड्यूटी लगा दे बेशक आप मेरी नाइट ड्यूटी इमरजेंसी के गेट पर लगा दें इमरजेंसी के गेट पर मेरी सात ड्यूटी पूरी हो गई है, लेकिन आज की रात में इमरजेंसी के गेट पर ड्यूटी करने के लिए भी तैयार हूं क्योंकि आज मेरा मोबाइल खराब हो गया है, कम से कम उस भूतिया बेसमेंट में रात को संगीतमय में गीत सुनकर रात तो कट जाती।"
राधे श्याम सुपरवाइजर प्रवीण से रिक्वेस्ट करता है।

"यह क्या बकवास कर रहा है, तू यहां ड्यूटी करने आता है या मोबाइल पर गाने सुनने।" सुपरवाइजर गुस्से में कहता है और ठेकेदार को उसी समय राधे श्याम की शिकायत करके उसे सारी बात बात कर प्रवीण सुपरवाइजर राधे श्याम को नौकरी से निकालवा देता है।

और नाइट ड्यूटी में जब एक सिक्योरिटी गार्ड कम हो जाता है, तो मजबूरी में सुपरवाइजर प्रवीण को खुद ही अस्पताल के सुनसान डरावने सन्नाटे वाले बेसमेंट में नाइट ड्यूटी करनी पड़ती है और वह किसी दूसरे सिक्योरिटी गार्ड पर दबाव भी नहीं डालता बेसमेंट में ड्यूटी करने का इसलिए क्योंकि वह दूसरे सिक्योरिटी गार्डो को सबक भी देना चाहता था कि अस्पताल के बेसमेंट में नाइट ड्यूटी करना कोई  खतरनाक काम नहीं है।

सुनसान बेसमेंट से सुपरवाइजर प्रवीण जब सुबह अपनी नाइट ड्यूटी पूरी करके बाहर निकाल कर बाहर आता है तो सारे सिक्योरिटी गार्ड उसे देखकर उसकी मजाक उड़ाते हैं कि रात को अस्पताल के बेसमेंट में सुपरवाइजर प्रवीण से कोई संगीतकार का भूत चिपट गया है, क्योंकि जब सामने उसे लकड़ी की टेबल दिखाई देती थी या लोहे की अलमारी वह उस टेबल या लोहे की अलमारी को ढोलक जैसे बजाकर गाने गा रहा था, कभी तेज कभी कम आवाज में। 

और ठेकेदार से इजाजत लेकर राधे श्याम को दोबारा नौकरी पर रख लेता है, राधे श्याम उस रात नाइट ड्यूटी पर आकर सुपरवाइजर प्रवीण से पूछता है? " मेरे ऊपर इस दया का क्या कारण है, साहब मैंने तो सुना है आप एक बार जिसको नौकरी से निकाल देते हैं उसे दोबारा नौकरी पर नहीं रखते हैं।"

"यह बात तूने राधे श्याम सही सुनी है, लेकिन बेसमेंट में नाइट ड्यूटी करने के बाद मुझे एहसास हुआ कि मैं गलत था, जब मैं बेसमेंट में अकेला सन्नाटे में बैठकर बहुत ज्यादा अकेलापन महसूस कर रहा था तभी मेरे गांव से फोन आया कि मेरे ताऊ जी का देहांत हो गया है, उनकी आयु 92 वर्ष की थी और मेरी पत्नी को पास के अस्पताल में लेकर जा रहे हैं क्योंकि उसे प्रसव का तेज दर्द उठ रहा है पहला बच्चा थ, इसलिए बेचारी बहुत डर रही थी और पीड़ा भी बर्दाश्त नहीं कर पा रही मैं अकेला बेसमेंट में बैठा बैठा सोच रहा था कि मेरे दुख खुशी के सारे भाव मेरे दिल से  कैसे निकलेंगे  इसलिए मैंने अपने बुजुर्ग मृत ताऊ जी को याद करने के लिए बच्चों के मधुर संगीतमय  गीत सुने इस से मुझे ताऊ जी के साथ बिताया अपना सारा बचपन याद आ गया और जब मेरे पास कुछ देर बाद गांव से फोन आया कि मैं एक सुंदर सी बेटी का पिता बन गया हूं तो मैंने पिता संतान से संबंधित संगीतमय में गीत सुने। 

"और मैंने संगीत की वजह से शोक और खुशी का अकेले ही ऐसे अनुभव किया जैसे कि मैं अकेला नहीं हूं, मेरे साथ पूरी दुनिया है, इसलिए मुझे उस रात समझ आ गया कि संगीत के बिना इंसान का जीवन अधूरा है और जो इंसान संगीत से दूर है वह अधूरा इंसान है।"

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3 Comments

Gunjan Kamal

19-Dec-2023 08:29 PM

👏👌

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Alka jain

19-Dec-2023 10:45 AM

Nyc

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Reena yadav

22-Nov-2023 06:39 PM

👍👍

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