साहित्य का संदेश
साहित्य का संदेश
प्रकृति से कर ले नेह रे भाई!
प्रकृति से कर ले नेह रे भाई!!
वेद,पुराण,ज्ञान,निगमागम यहि मा सबै समाई।
विधि-हरि-हर-सुर-सार,गिरा-गुरु-गरिमा में है नहाई।।
प्रकृति से कर ले...।।
मंदिर,मस्ज़िद,गिरजा लखि सच सबने अलख जगाई।
क्षिति,जल,पावक,पवन,अवनि यह जानो यही सचाई।।
प्रकृति से कर ले....।।
प्राण-रक्षिका यही प्रकृति ही करती सदा भलाई।
है धन-संपदा-दात्री इसमें सद्गुण पड़े लखाई।।
प्रकृति से कर ले......।।
प्रकृति ईश है,ईश प्रकृति है यहि मा सकल खुदाई।
प्रकृति छाँड़ि जो अरु कछु पूजा बूड़ी सकल कमाई।।
प्रकृति से कर ले नेह रे भाई।।
©डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446372
पूर्व विभागाध्यक्ष-अँगरेजी,
का0 सु0 साकेत स्नातकोत्तर महाविद्यालय,अयोध्या,उ0प्र०
Gunjan Kamal
22-Nov-2023 03:20 PM
👏🏻👌
Reply