गांव के संस्कार
गांव के संस्कार
जीवित है आज भी गांव में संस्कार
गांव ही हैं आज भी भारत का आधार।
दिख जाते हैं यदा कदा शहरों में संयुक्त परिवार
मगर गांव में आज भी जिंदा हैं रिश्तों का व्यवहार।
नानी दादी बुआ चाचा मामा ताऊ
सबसे नाता प्रेम का, बड़ा कहाए भाऊ।
सुख दुख में हरेक के रहता कुनबा साथ
सबसे दुआ सलाम भी होती है दिन रात।
बेटी पूरे गांव की, नहीं है घर का बोझ
शादी ब्याह के काज सब निबटाते हैं लोग।
चोपालों में बैठ कर बतियाते हैं रोज
खटिया आंगन डाल कर मिलती सबको मौज।
घर के मुखिया की सभी सुनते शीश नवाए
छोटे बड़े का मान है वचन ना खाली जाए।
आभार – नवीन पहल – २५.११.२०२३ 🙏🙏
# दैनिक प्रतियोगिता हेतु कविता
Gunjan Kamal
03-Dec-2023 06:34 PM
👌👏
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