Anju singh

Add To collaction

आशा




प्रतियोगिता - आशा


    मेरी आशाएं 
कुछ आशाए जागी मेरे दिल भी, 
कुछ कर दिखाने की आशा थी ।

सोचा चलो नयी किरण के साथ, 
नयी सुबह के साथ कुछ नया कर जाए। 

आशाए इतनी बड़ी भी नहीं थी, 
बस अपने को एक हिम्मत देनी की कोशिश थी। 

खुद को ही समझाने की कोशिश थी ,
कि ये सुबह हर किसी के लिए एक आशा लेकर आई है। 

तो फिर क्यो उदास होती हैं,
उठ और जो भी मन में आऐ लिख दे। 
कौन क्या सोचेगा मत कर परवाह किसी, 
जो इस को समझ गया तो ये एक लेखक का लेख के रूप मे प्रसिद्ध होगा। 
अगर नहीं समझ पाया कोई तो क्या हुआ,
ये एक आशा ही तो है आज नहीं तो कल पुरी जरूर होगी।
इसी उम्मीद से तू मन दर्पण को शब्दों में बया करने की कोशिश और हिम्मत तो कर। 
तभी तो तेरी आशाए पुरी होगी।



स्वरचित -अंजू सिहं दिल्ली



   5
2 Comments

Gunjan Kamal

05-Dec-2023 11:14 PM

👌👏

Reply

सुन्दर सृजन

Reply