lalita kashyap

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प्रकृति




मनोरम छंद
विषय- प्रकृति

मात पृथ्वी का सहारा।
है सुहाना तव नजारा।।
पेट भर रोटी खिलाती।
नीर शीतल तुम पिलाती।।

वाटिका वन झूमतें हैं।
पुष्प सुरभित चूमतें हैं।।
आ घटाएं मान करती।
छा बहारें रंग भरती।।

नील आभा छा रही है।
जल तुहिन बरसा रही है।।
पवन शीतल बह रही है।
चांद से नित कह रही है।।

ललिता कश्यप जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश



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4 Comments

सुन्दर सृजन

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Shnaya

12-Dec-2023 10:46 PM

Nice

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Gunjan Kamal

08-Dec-2023 07:58 PM

👌👏

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