लव इज माय लाइफ ए ब्यूटीफुल लव स्टोरी
सौरभ . ब्रह्मा जी की बातें सुनकर, मौन हो जाता है, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा है, तभी ब्रह्मा जी अपना मुख्य दांवपेंच खेलते हुए, आगे कहते हैं,
"मैंने सुना है, तुम्हारी, मां की तबीयत बहुत खराब है और तुम्हें उनके ऑपरेशन के लिए 7 लाख रुपए की जरूरत है, मैं,,,तुम्हें 7 लाख रूपये देने के लिए तैयार हूं, इस सोदे में तुम्हारा, हमारा और हम सभी का फायदा ही फायदा है"! ब्रह्मा जी ने समझाते हुए कहा
"इस बीच अगर, स्नेहा लौट आई तो मैं, लव को क्या जवाब दूंगा, मैं उससे कैसे नजर मिलाऊंगा"? सौरभ ने प्रश्न किया
"ऐसा कभी नहीं होगा, क्योंकि मैं जानता हूं, स्नेहा,लव के जीवन में अब कभी नहीं आएगी, दुनिया की कोई भी लड़की,अपने पिता के हत्यारे के बेटे से शादी नहीं कर सकती, मेरा विश्वास करो, मैं,,,तुम पर आंच तक नहीं आने दूंगा"!ब्रह्मा जी ने भरोसा देते हुए कहा
"ठीक है,,,मैं,आपका काम कर दूंगा पर मुझे इस काम से पहले 7 लाख चाहिए"! सौरभ ने कहा
ब्रह्मा जी,,,अपनी चेक बुक से एक चेक निकाल कर, सौरभ के हाथों में देते हैं, अब सौरभ को ब्रह्मा जी पर पूरा भरोसा हो गया है, जरूरत और पैसों का संबंध ही ऐसा होता है, जो मनुष्य को सब कुछ भुला देता है, सौरभ के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है,क्योंकि उसे पैसों की जरूरत है, ब्रह्मा जी सौरभ के घर से बाहर आते हैं, तभी उनके फोन की घंटी बजने लगती है, ब्रह्मा जी फोन रिसीव करते हैं, यह फोन उनकी बेटी सोनिया का है
"हेलो,,,पापा,,,मैं सोनिया बोल रही हूं, कैसे हो आप"?
"मेरी बेटी,,,सोनिया,,,मैं ठीक हूं, तुम बताओ"?
"मैं भी ठीक हूं,,,मैं आपको एक सरप्राइज देना चाहती हूं, आज रात 12:00 बजे, मुझे एयरपोर्ट रिसीव करने आ जाना"!
"ओह माय गॉड,,,सच में तुम, आ रही हो,,,ठीक है, मैं आ जाऊंगा"!
"ओके,,,बाय, पापा"!
बेटी की आने की खुशी, ब्रह्मा जी के चेहरे पर साफ देखी जा सकती है, क्योंकि इन 15 सालों में ब्रह्मा जी को कभी किसी ने इतना खुश, नहीं देखा पर आज उनके हृदय में ऐसी खुशी थी,जिसे इन्होंने 15 साल पहले महसूस किया था, मैं सर्वमय होने के कारण, सब जानता हूं, भले कहानी में उनके बचपन से जुड़े, वह सभी समीकरण धीरे-धीरे जुड़ते नजर आ रहे हो पर कहानी के सभी पात्रों की नई, आकांक्षाओं में उन, नए प्रभावो से सभी अनजान है, जो उनकी किस्मत नियति में पहले लिखा जा चुका हैं, इसे में स्पष्ट कहना चाहता हूं, इनके भाग्य के लेखक, यह स्वयं है
स्नेहा ने लव की दुनिया में आने की पूरी तैयारी कर ली है, घर के बाहर आसिफ और आरोही,,,स्नेहा का इंतजार कर रहे हैं, स्नेहा अपनी मां के पैर छूकर, अंतिम विदाई लेती हैं अपनी मां की भीगी पलकों को देखकर स्नेहा कहती है
"अगर मुझे पहले पता होता कि मेरे जाने से आपकी, आंखों में आंसू आ जाएंगे, तो मैं कभी यह गुस्ताखी नहीं करती"!
"मेरे आंसू,,,तुम्हें रोकने के लिए नहीं है, कुछ समझाने के लिए है"! गीता ने स्पष्ट कहा
"मां,,,आपने ही मुझे बनाया है, निखारा है, मैं आज जो भी कुछ हूं, आपकी बदोलत हूं, मैं,,,आपकी हर बात को भगवान का आदेश मानती हूं"!स्नेहा ने कहा
"समय एक ऐसा मरहम है, जो बड़े से बड़े घाव को भर देता है,मेरी आज की सोच इस बात का जीता जागता प्रमाण है, अगर ध्यान से समझा जाए तो समय का उद्योग, ही परिवर्तन है,अगर लव में भी ऐसे अनिश्चित परिवर्तन आ जाए, तो तू टूट मत जाना, मेरी बेटी"!मां समझाते हुए कहा
"जीवन के ऐसे मोड़ पर इतनी सटीक शिक्षा, मुझे,,,आपके सिवा और कोई दूसरा नहीं दे सकता, आपने मेरे हाव-भाव अपने पेट में ही अनुभव कर लिए थे, इसीलिए जितना मैं, खुद को नहीं जानती हूं, उससे कहीं ज्यादा, आप मुझे जानती हो, और रही बात लव की बदल जाने की तो वह बदलाव उसकी बेमानी होगी,आपकी स्नेहा कि नहीं, देर हो रही है, अब चलती हूं,आपका ख्याल रखना, मैं जल्द आऊंगी"! स्नेहा ने अपनी मां को गले लगाते हुए कहा
स्नेहा की आंखें नम हो जाती है, इसीलिए वह काला चश्मा लगाकर,आगे आसिफ के पास आकर बैठ जाती है कार चलने लगती हैं, कुछ देर बाद, स्नेहा,,,आसिफ से कहती है
"आशिफ,,,जानते हो, मैं सबसे ज्यादा प्यार किस से करती हूं"?
"हां,,,,जानता हहूं, व से करती हो"!आशिफ ने जवाब दिया
"नहीं,,,अपनी मां से करती हूं और मैं जो भी कर रही हूं, अपनी मां की खुशी के लिए कर रही हूं,मैं,,,,अपनी मां को अपना भगवान मानती हूं,अब मेरे भगवान की सारी जिम्मेदारी, तुम पर है"!
"थैंक यू सो मच,,,,स्नेहा जी,,,मैं,आपके भगवान का ख्याल रखूंगा,अपने भगवान की तरह"!आसिफ ने कहा
"मैं,,,सबसे ज्यादा यकीन तुम पर करती हूं, इसीलिए तुम,,,मेरे सबसे अच्छे दोस्त हो"! आसिफ के प्रति विश्वास से भरे, स्नेहा के यह शब्द, आसिफ के हृदय को झकझोर देते हैं, इसीलिए आसिफ के हृदय भीतर कुछ खुबसूरत भाव उमडे़ है, आसिफ के दिल के भाव, शायरी में शायरी
"तुमने दिल किसी और को दे दिया"! "और अपने भगवान को मुझे दे दिया"!! " जब यकीन मुझपे, उससे ज्यादा है"! "तो मेरे साथ, इंसाफ गलत क्यों किया"!!
आसिफ को उलझन में देख, स्नेहा अपनी सोच समझ के आधार पर समस्या का निवारण करने का प्रयास करते हुए, कहती है"!
"दुख कोई वस्तु नहीं है, बल्कि हमारे मन को अच्छा ना लगने वाला एक भाव है, असली खुशी वही है, जो हम स्वयं को देते हैं, दूसरों से खुशी चाहना, अपने आप को धोखा देना है"!स्नेहा में समझाते हुए कहा
"मेरा दिल बड़ा बेवकूफ है, जो कुछ भी समझने को तैयार नहीं है"! आसिफ ने अपना हाल बयां किया
"बेवकूफ दिल नहीं,उसकी इच्छाएं हैं, जो दिल पर इतनी हावी हो जाती है कि वह किसी की नहीं सुनता, यहां तक कि उस कारण को भी नहीं समझता,जिससे वह इच्छा उत्पन हुई है,अपनी इच्छाओं के स्वार्थ में बिना उलझे, हमें अपनो की उन इच्छाओं का भी ख्याल रखना चाहिए, जो हमसे अच्छे बर्ताव की आशा करती है, हमारा भावनात्मक तालमेल एक दूसरे के विपरीत नहीं होना चाहिए और अगर विपरीत हो रहा है तो हमें उसे संभालना चाहिए और उस उलझन में उलझना नहीं चाहिए "!स्नेहा ने आसिफ को समझाने के भाव से कहा
लव इस माय लाइफ यह सीरीज मेरा सर्वश्रेष्ठ लेखन है इसलिए मैं आप सभी पाठकों से अनुरोध करता हूं इसे आप उन तक भी पहुंचाएं जिनसे आप प्रेम करते हो, जो आपसे प्रेम करते हैं, जिन्हें आप अपने समझते हो!
Milind salve
15-Dec-2023 02:58 PM
V nice
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Varsha_Upadhyay
14-Dec-2023 11:38 PM
Nice
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Gunjan Kamal
08-Dec-2023 06:27 PM
👏👌
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