प्रभु कृपा से बचा है जीवन

प्रभु कृपा से बचा है जीवन

सिद्ध कर दिया इकतालीस ने प्रभु तुम्हारा नाम
जब ना दिखे कोई रास्ता गाते सुबह और शाम।

जाको राखे साइयां मार सके ना कोय
लाखों टन मलबा गिरे, बाल ना बांका होय।

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती
लक्ष्य अभेद हो चाहे कितना, जीत का मिलता मोती।

हो लगन अगर सच्ची तो मार्ग के पत्थर हट जाते
अगर ठान ले इंसा तो राह के पर्वत झुक जाते।

चार धाम को सुगम बनाते फंसे थे उनके प्राण
स्वयं प्रकट हुए गंगाधर, किया जो सुमिरन नाम।

आज पुनः ये बात पते की समझ में सबके आई
जब जब पीर पड़ी भगतन पर दौड़े आए कन्हाई।

लाक्षागृह सा फंसा था जीवन विपदा चारों ओर
इंसानी काया में आकर प्रभु दिखाए छोर।

मंगल दीप पुनः जले हैं फिर इस मंगलवार
बजरंगी ने एक बार फिर किया है बेड़ा पार।

आभार – नवीन पहल – २९.११.२०२३ 🙏🙏
# दैनिक प्रतियोगिता हेतु कविता

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7 Comments

बेहतरीन अभिव्यक्ति

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kashish

12-Dec-2023 04:03 PM

Amazing

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Sushi saxena

11-Dec-2023 02:16 PM

V nice

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