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लव इज माय लाइफ ए ब्यूटीफुल लव स्टोरी

लव पत्र पढ़ कर, गहरे विचार में डूब गया, क्योंकि वह सोनिया की दृढ़ता से बहुत अच्छी तरह परिचित है, इसीलिए उसे यह चिंता है कि उसने सोनिया की बात नहीं मानी तो अंजाम बहुत भयानक होने वाला है, इसी कशमकशश्रके बीच यह अध्याय समाप्त होता है, क्योंकि इंतजार अब खत्म हो चुका है,इस इंतजार के खत्म होते ही उम्मीद का आगाज होता है, स्नेहा अपनी उम्मीदों के साथ, वहां से लव से मिलने के लिए रवाना हो चुकी है, तो सोनिया अपनी उम्मीदों के साथ आज रात आ रही है, उम्मीद नाम के इस अध्याय को सुनने से पहले मैं,, तुम्हें याद दिलाना चाहता हूं कि यह समय तुम्हारे प्रश्न का है"?इसीलिए इस अध्याय को सुनने से पहले, तुम एक प्रश्न पूछ सकते हो

मेरे मन में वर्षों से एक प्रश्न था, जिसका सही जवाब,मुझे आज तक नहीं मिला था और कुछ देर पहले ही मैंने, उस प्रश्न के कुछ शब्द, ईश्वर के मुख से सुने थे,इंतजार के उस अध्याय में इसीलिए मुझे, अपने उस प्रश्न का पूर्ण स्मरण हो चुका है, तब मैंने पूछा

"है विश्वेश्वर,,,यह जगत त्रिगुणात्मक कैसे है और इस त्रिगुणात्मक रहस्य से मनुष्य का क्या संबंध है"?

तब ईश्वर ने कहा

"मेरे अनुसार,,,जीवात्मा,तत्व और रचनाकार प्रकृति इस अनंत ब्रह्मांड का सनातन सत्य है, इस अनंत ब्रह्मांड का अंश होने के कारण,  यह जगत त्रिगुणात्मक कहलाता है, जीवात्मा का कोई अन्य प्रकार नहीं है, तत्वों के अनेक प्रकार है और रचनाकार प्रकृति के तीन गुण मुख्य है, सत, रज और तम, इन तीनों गुणो का मनुष्य की इंद्रियों से विशेष संबंध है, जिन्हें हम नाक, कान, आंख, जीभ और स्पर्श के नाम से जानते हैं, यह पांच इंद्रिया ही समस्त कर्मों का कारण है, इन पांचो इंद्रियों का निर्देशक मन है और मन का स्वामी बुद्धि है पर इंद्रियों और मन में इतना, गहरा तालमेल है, जिस कारण बुद्धि, मां और इंद्रियों पर अपना पूर्ण अधिकार नहीं कर पाती है, क्योंकि बुद्धि जहां समझती है,वहां अपना निर्णय करती है और जहां बुद्धि नहीं समझ पाती है, वहां मन अपनी इंद्रियों की मदद से बुद्धि को भ्रमित कर, अपने निर्णय करता है, तुम यह मान सकते हो की बुद्धि के पास अपनी समझ है और मन नासमझ है, रचनाकार प्रकृति, अर्थात प्राकृतिक शक्ति जिसे इंग्लिश में नेचुरल पावर कहा जाता है, इस परिवर्तनशील,प्रकृति का मनुष्य से विशेष संबंध और यह संबंध कैसे जुड़ता है, यह मैं,,,,तुम्हें संक्षेप में समझाता हूं, यह प्रकृति ही संसार में निरंतर परिवर्तनों का कारण है, जिससे मनुष्य प्रभावित होता है, जैसे मौसम में बदलाव, सर्दी गर्मी, बरसात आदि, सूर्योदय, दोपहर, संध्या व रात्रि प्राकृतिक परिवर्तन है, इन प्राकृतिक परिवर्तनों का प्रभाव मनुष्य के स्वभाव पर पड़ता है और मनुष्य में गुण उत्पन्न होते हैं,जिन्हें हम सत, रज और तम के नाम से जानते हैं, जब सतोगुण का प्रभाव बढ़ता है, तब मनुष्य सत्य और प्रकाश की खोज करता है, वह सतोगुणी अपने हृदय में शांति स्थापित कर, सभी जीवो में समभाव रखकर, सुखी रहता है, जब मनुष्य में रजोगुण का प्रभाव बढ़ता है, तब मनुष्य अपनी कामनाओं के लिए, अर्थ और ऐश्वर्य की खोज करता है, वह रजोगुणी कर्म में व्यस्त रहते हुए हमेशा अशांत रहता है, जब मनुष्य में तमोगुण का प्रभाव बढ़ता है, तब मनुष्य अज्ञान को ज्ञान और ज्ञान को अज्ञान समझता है और आलस को आनंद मान लेता है, वह तमोगुणी मनुष्य जगत को ईश्वर रहित मानकर, स्वयं को एक संयोग समझता है और हमेशा दुखी रहता है, प्रकृति के इन तीनों गुणो से मुक्त जीव, ना तो इस लोक में है, न परलोक में है,फिर चाहे वह मनुष्य हो, देवता हो या राक्षस हो, सभी अपनी बलवान प्रकृति से वशीभूत है, इस बलवान प्रकृति से मुक्ति का उपाय, आध्यात्मिक बुद्धि है, जो स्वयं से उत्पन्न होती है, आध्यात्मिक वादियों की तीन श्रेणियां हैं, भक्त  ज्ञानी और जिज्ञासु, इनमें ज्ञानी उत्तम है, क्योंकि ज्ञान से पवित्र इस संसार में कुछ नहीं है, प्रतिदिन की दिनचर्या में एक ही मनुष्य में अनेक परिवर्तन देखे जाते हैं  जैसे सुख-दुख मान अपमान, मित्र शत्रु, पाप पुण्य, अच्छाई बुराई  क्रोध स्वार्थ, चिंतित प्रसन्न आदि जैसे भाव से मनुष्य, सदैव युक्त होता है, मनुष्य में सदैव एक भाव स्थिर नहीं रहता, उसका कारण यह है कि मनुष्य का स्वभाव, प्रकृति के गुणो से प्रभावित होता है, त्रिगुणात्मक रहस्य और प्रकृति के गुणो से मनुष्य का यही वास्तविक और वैज्ञानिक संबंध है, जो मैंने,,,तुम्हें बताया है, अब मैं,,,तुम्हें लव इस माय लाइफ, ए ब्यूटीफुल लव स्टोरी का तीसरा अध्याय उम्मीद सुनाता हूं सुनो"!

तीसरा अध्याय "उम्मीद"

उम्मीद का अर्थ आशा, आत्मविश्वास, सफलता, निश्चितता यकीन और प्रेरणादायी जैसे भावो का प्रतीक होता है, कहा जाता है, उम्मीद पर दुनिया कायम है, फिर मैं,,,आप और हम सब उम्मीद से अलग,कैसे हो सकते हैं"? "उम्मीद एक ऐसा भाव है, जो हमारे जीवन के भविष्य का ऐसा फल है, जिसे हमारे जीवन की सच्ची निश्चितता को सफलता के साथ दर्शाते हुए, हमें बेहतर करने और बेहतर जीने की प्रेरणा देता है, इसीलिए मैंने जीवन को उम्मीद कहा है, जीवन में कुछ बचे या ना बचे, हमें अपनी उम्मीदों पर कायम रहना चाहिए, क्योंकि उम्मीद से ही मैं हूं, आप हो और यह संसार है"!

स्नेहा आरोही के साथ ऑटो में बैठकर, लव मीन स्नेहा पॉइंट आ गई है, स्नेहा इस जगह की रौनक और विकास को देखकर, भाव विभोर होकर झूम उठी है, क्योंकि अब यह स्थान,बहुत विकासशील और पहले से सुंदर  बन चुका है, स्नेहा ने पार्क में प्रवेश करने से पहले, प्रवेश द्वारा को देखा, जिस पर बड़े अक्षरों में लिखा है, लव मिन स्नेहा पॉइंट, इस मुख्य द्वार से जुड़ा एक और द्वारा है, जो यहां से बाहर जाने के लिए है, इन दोनों द्वारों के बीच में 10 फीट ऊंची और 100 फीट लंबी, बीच में दीवार है, एक तरफ आने वालों के लिए और दूसरा गेट जाने वालों के लिए, स्नेहा अंदर जाकर, उन तमाम परिवर्तन को देखती हैं,जगह-जगह रंग-बिरंगे फूल, पेड़ पौधे का हुजूम लगा हुआ है और हर पेड़ के नीचे बैठने के लिए,उत्तम व्यवस्था है, यहां युवा और वृद्ध कपल्स ,का अच्छा खासा जमावड़ा है, स्नेहा उस बरगद के पेड़ के पास आती है, जिससे जुड़ी कई यादें, आज भी स्नेहा के हृदय में मौजूद है, यह बरगद का पेड़, आज भी अपनी उसी विशालता के साथ मौजूद है, यहां का जर्रा-जर्रा लव के इंतजार, उसकी उम्मीद और उसके प्यार की गवाही दे रहा है, जिसका अनुभव स्नेहा के हृदय को हो रहा है, आज उसके हृदय में इतने फूल फूल खिले हैं, जितने इस समस्त भूभाग पर  कभी नहीं खिले होंगे, उसकी आंखों से छलकता विश्वास, आंसू बन कर बहने लगा है, क्योंकि वह समझ चुकी है, जिस तरह उसने लव का इंतजार किया है, शायद,,,बिल्कुल उसी ही तरह लव भी स्नेहा इंतजार कर रहा है

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3 Comments

Gunjan Kamal

14-Dec-2023 11:05 PM

👏👌

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Milind salve

14-Dec-2023 07:00 PM

Nice

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Varsha_Upadhyay

14-Dec-2023 06:16 PM

शानदार

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