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त्यौहार

त्यौहारों का देश हमारा,

दिवस सुहाने कहलाए।
भाई-चारा चले निरंतर,
मोती माला गुथ जाए। 

नववर्ष गणतंत्र महोत्सव,
मकर संक्रान्ति पर्वोत्सव,
बसंत पंचमी ऋतु बसंती,
चुनर बसंती हो जाए।

शिवरात्रि भोले का वंदन,
त्रिपुण्ड मस्तक पर चंदन,
शिव को अर्पण करें बिल्वपत्र,
मनवांछित वर मिल जाए।

रंगों का उत्सव है होली,
रंग उछालें हमजोली,
नवदिन माँ दुर्गे के आए,
घर-घर आसन लग जाए।

जन्म महोत्सव पवनपुत्र का,
सिंदूरी देह सुपुत्र का।
शुभ अक्षय तृतीया कहलाए,
विवाह मुहूर्त समझाए।

दिन आजादी मन हर्षाए,
मंत्र तिरंगा समझाए,
रक्षाबंधन भाई बहन का,
निश्छल स्नेह बरसाए।

करवा चौथ उम्र संवर्धन,
दौज दिवाली गोवर्धन,
कलम दवात प्रतीक ज्ञान के,
“श्री” जग नाम निखर जाए।

स्वरचित-सरिता श्रीवास्तव "श्री"
धौलपुर (राजस्थान) 



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12 Comments

सुन्दर सृजन

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RISHITA

17-Dec-2023 02:26 PM

Very nice

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Gunjan Kamal

16-Dec-2023 10:32 AM

👏👌

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