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अश्क

आंसुओ ने आज मेरे ,

मुझसे ही बगावत कर दी।

क्यों रोते हो बात बात पर,

मुझसे मेरी ही शिकायत कर दी।

सहते हो क्यों दर्द इतने ,

क्यूं गम तुम मुस्कराते हो।

बह जाने दो मुझे आखों से,

मुझे पोरों में क्यों छिपाते हो।

है बड़ा निष्ठुर जमाना,

समझे नही जज्बात को।

साथ हर पल दूगां तुम्हारा,

तुम व्यक्त तो करो एहसासों को।


अनमोल हूं इस बात को ,

सबको मुझे बतलाना है।

गम हो या हो खुशी,

हर हाल में मै निकल आता हूं।

मानो या न मानो ,

सबसे बड़ा ही गहरा मेरा नाता है।


क्यों बहाते व्यर्थ मुझको ,

क्या इनका कोई मोल नही है ।

जहां कद्र हो तेरी नही,

वहां कभी भी जाना न।

जहाँ तेरी परवाह न हो,

वहां बहाना व्यर्थ है ।

समझोगे जब इस बात को,

तब दर्द कम हो जाएगा।

और खुशियों मे भी अपनी ,

मुझको साथ खड़ा पाओगे

रूबी चेतन शुक्ला

अलीगंज

लखनऊ

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1 Comments

RISHITA

17-Dec-2023 02:37 PM

Amazing

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