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झूठ की नीव

झूठ की नीव पर कौन रखना चाहता है रिश्ते

ये तो इंसान है क्या करे?? इसकी फितरत तो खुदा ने ही बख्शी है।

अगर फितरत में फरेब और मक्कारी न होती तो भेद कहाँ होता खुदा और इंसान का…!!!

खुदा कभी नहीं चाहता कि उसके जैसा कोई हो, इंसान ने भी सच कर दिया कि क्या जरूरत है दूसरा खुदा बनने, बनाने की।

हमने कब कहा हमारी तरह तबज्जो दीजिए,
नौ माह कोख में पनाह दी उसी की लाज रख लीजिए।

सत्य है झूठ की नीव से बिखरते हैं रिश्ते,
सत्य की नीव पर कौनसे चलते हैं रिश्ते।

झूठ खुलेगा उस दिन ही तो बिखरेंगे रिश्ते,
सत्य पर टिके तो रोज ही दरकते हैं रिश्ते।

कितना भी पुकार लो कोई सुनने वाला नहीं,
आवाज में शिद्दत कहाँ स्वार्थ समझते हैं रिश्ते।

अहम का घुन बढता ही जाए हर रिश्ते में
खोखले होते जा रहे हैं दरो दयार ये रिश्ते।

पवित्र अग्नि के समक्ष लिए पवित्र सात फेरे,
फैमिली कोर्ट में सांस ले रहे "श्री" संस्कारित रिश्ते।

स्वरचित-सरिता श्रीवास्तव "श्री"
धौलपुर (राजस्थान)

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12 Comments

सुन्दर सृजन और बेहतरीन अभिव्यक्ति

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Rupesh Kumar

18-Dec-2023 06:48 PM

Nice

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Sarita Shrivastava "Shri"

19-Dec-2023 12:05 AM

🙏

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Gunjan Kamal

18-Dec-2023 05:55 PM

👌👏

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Sarita Shrivastava "Shri"

19-Dec-2023 12:05 AM

🙏🙏

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