Add To collaction

मानवता

प्रकृति कहे 

मानव मत भूल 
दया मानवता को, 
है चेतावनी 
जो तुम दोगे वही
लौटा दूंगी तुमको। 

हर व्यक्ति
चाहत रखता है
महान बनने की,
कहाँ है मंशा
मानव सेवा और
इंसान बनने की।

इंसानियत
दया धर्म करुणा
मानव दर्पण है,
लेकिन जन का 
इनके प्रति नहीं
कोई समर्पण है।

इंसानियत 
कर्तव्य निर्वहन
जन पहचान है,
जैसे हंस की
नील गगन में
ऊँची उड़ान है।

मानव मूल्य 
इंसानी कमाई के
अनमोल मोती है,
स्वार्थी मनुष्य
के रवैए पर ही
मानवता रोती है।

मानवता की
सेवा करना सच्ची
ईश उपासना है,
परोपकार
उच्च कोटि का धन 
ये सबने माना है।

मानव भूल
गया इंसानियत
करे लालसा पूर्ण,
उन्नति चाह
"श्री" रहे मशगूल
भू रक्षण अपूर्ण।

स्वरचित- सरिता श्रीवास्तव "श्री"
धौलपुर (राजस्थान)









   28
9 Comments

बहुत ही सुंदर और संदेश देती हुई अभिव्यक्ति

Reply

Gunjan Kamal

19-Dec-2023 07:50 PM

👌👏

Reply

Shnaya

19-Dec-2023 11:34 AM

V nice

Reply

Sarita Shrivastava "Shri"

19-Dec-2023 07:01 PM

🙏

Reply