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फूल

फूल-फूल बड़े सुन्दर फूल,

रंग-बिरंगे न्यारे फूल।
गुलमोहर महके अलबेली,
बनी बयार-सुगंध सहेली।

नन्ही-नन्ही चिड़िया चहके,
कोयल मधुर कंठ से कुहके।
मीठी-मीठी प्यारी बोली,
अंब साख से कोकिल बोली।

सतरंगी पंखों की तितली,
पुष्प कण के लिए है पगली।
फूल-फूल पर इठलाती है,
बच्चों का मन ललचाती है।

गुन-गुन, गुन-गुन अलिंद आया।
कलियों के मन को भरमाया।
कभी फूल कभी नव पल्लव पर।
मचल रहा है कली-कली पर।

पूछा परिचय नाम फूल से,
इतराने की वजह फूल से।
मंद-मंद मुस्कान सुहाई,
खुशबू नाम बताने आई।

जूही बेला चम्पा चमेली,
कमल गेंदा और शेफाली।
रजनीगंधा रात की रानी,
ये सुबास जानी पहचानी।

अपनी किस्मत धन्य समझ कर,
भगवन "श्री" चरणों में गिरकर।
फूल दंभ से भरता जाए,
मंद-मंद मुस्काता जाए।

स्वरचित-सरिता श्रीवास्तव "श्री"
धौलपुर (राजस्थान)


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12 Comments

सुन्दर और बेहतरीन अभिव्यक्ति

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Dilawar Singh

20-Dec-2023 06:49 PM

अति सुन्दर अभिव्यक्ति 🙏बहुत शानदार रचना

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Sarita Shrivastava "Shri"

20-Dec-2023 08:28 PM

🙏

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Gunjan Kamal

20-Dec-2023 10:35 AM

👏

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Sarita Shrivastava "Shri"

20-Dec-2023 08:29 PM

🙏

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