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लेखनी कहानी -22-Dec-2023 कविता

*मुस्कान चेहरे पर*

मुस्कान तेरे चेहरे की अजीब लगती है, 
जवां महफिल तू  चांद तारों में बसती है ।

हसीन अंदाज है तेरा छाया है इस कदर,
मयखाने में शराब जब बोतल में सजती है ।

 हालात दिल पर काबू इस कदर छाया अंधकार,
मुश्किल हालात में भी देख जिसे तू हसती है ।

 हमने तो चाहा भी था तुझे दिलवर हरदफ़ा,
 जवां दिल की धड़कनों में मेरी तू बसती है ।

 हमराह हो तुम मेरे दिलवर यकीन कर मुझपे,
तन्हा  दिल के चौराहे से जब तू गुजरती है ।

 मुस्कुराता तेरा चेहरा दिखता है हसीन,
 जब तू होकर जवाँ  बागों में करती मस्ती है ।

 कौन कहता है जमीन पर तारे नहीं होते,
 दिन की हसीन राहों से जब तू गुजरती है ।

 हमराह हो तुम मेरे हम अब हबीब बन गए
 नुक्कड़ पे खड़े मंजिल तलाशते तू मिलती है

 मरासिम है तुझसे गहरा  उल्फत के खातिर,
 सजी महफिल में जब तू तन्हा मुझसे मिलती है ।

 बेदर्द है जमाना आशिक मिजाज होता है,
 मुहब्बत का कारवां  गुजरा छाई मस्ती है ।

 इंतजार तुझे  मुस्कान चेहरे पर छाई है,
 इंतजार  है *कौशल फंसी उल्फ़त की कश्ती है ।

        *के,के,कौशल*,
       इन्दौर, मध्यप्रदेश

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3 Comments

Alka jain

26-Dec-2023 07:14 PM

Nice one

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Milind salve

26-Dec-2023 06:51 PM

Nice

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Gunjan Kamal

25-Dec-2023 11:02 PM

👏👌

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