हाथों में हाथ आधुनिक हुए हम
(हाथों में हाथ आधुनिक हुए हम)
आजकल की शादियों की रौनक ही निराली है ,महानगरों में वर वधु अपनी शादी को यादगार बनाने के लिए, अपनी पसंद का सारा इंतजाम करना पसंद करते हैं ,शादी समारोह का स्थल, भोजन की व्यवस्था ,खाने के आइटम ,सब वर वधू ही की पसंद का ही होता है ।
ए टू जेड पूरी तैयारी वर वधु की निगरानी में ।
किस को क्या पहनना है ,कैसे एंट्री करनी है ,सब कुछ डिसाइड होता है ,
हमारे जमाने में लड़की का पिता कन्यादान के समय लड़की का हाथ वर को सौंपता था ,अब तो लड़की को देखते ही लड़का अपना हाथ बढ़ा देता है ,औपचारिकताएं खत्म। हमारे जमाने में लड़की को उसकी सहेलियां ,भाभीयॉ पकड़ कर लाती थी जय माल के लिए ,अब तो लड़की खुद ही नाचती सी चली आती है एक चुन्नी की छांव में जिसको उसके भाइयों ने पकड़ा होता है, शादी का शौक देखने लायक होता है ।
एक कहावत थी लज्जा स्त्री का गहना होता है ,पर अब तो लज्जावती हमारे घर दूध देने आती है ।
जयमाल के लिए लड़की जब माला लेकर चलती थी , तो एक गाना बजता था
बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है ।
और सब की निगाह शांति से लड़की का इंतजार करती सी लगती थी ,गाने से ही पता चल जाता था लडकी जयमाल के लिए आ रही है ,वह लड़के की तरफ से गाना होता था, पर अब लड़की के भाई लोग एक चुन्नी की छांव में लड़की को लाते हैं गाना बजता है ,
दिन शगना दा आया नी सखियों गाओ मंगल ।
अब लड़की की तरफ से गाना बजता है ,
और लड़की बहुत खुश होकर नाचते हुए सी आती है, आजकल की शादियों को देखकर लगता है, कि हम लोग तो पुरातन काल से आए हैं ,।
दूल्हा दुल्हन की ड्रेस, ब्यूटी पार्लर के खर्चे में तो ,पहले के जमाने की शादियां ही हो जाती थी ।
स्टेज पर और फेरों पर वर वधू का वार्तालाप देखकर ऐसा लगता है ,की सात जन्म की कसर आज ही पूरी होगी, कितने उत्साहित होते हैं ,वर वधू अपनी शादी को लेकर।
विदा के समय आंसुओं की प्रथा अब चलन में नहीं ।
अभी ज्यादा दिन तो नहीं हुए पर फिर भी अपने को प्राचीन काल का पुरोधा मानती हूं।
ऐसा मैंने अपने शहर कीअपनी कजन सिस्टर की शादीयों में देखा तभी व्यंग्य में लिखा, किसी की भावनाओं को मानसिक कष्ट देने के उद्देश्य से नहीं लिखा ।
दैनिक प्रतियोगिता के लिए🙏
जया शर्मा प्रियंवदा
HARSHADA GOSAVI
06-Jan-2024 09:37 AM
👍👌⭐
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Khushbu
27-Dec-2023 02:51 PM
V nice
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Alka jain
26-Dec-2023 02:50 PM
Nice
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