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माया-26-Dec-2023

प्रतियोगिता हेतु
दिनांक 26/12/2023
माया

मोह-माया के जाल में, 
जो फसंता इंसान। 
तड़पता रहता प्रेम को,
नहीं मिलता आराम।

जीवन क्षणभंगुर, 
जो समझा वो तर गया।
जो नहीं समझ पाया, 
वह माया में फंस गया।

जानते सब यहां पर,
अनजान बने बैठे हैं।
माया में लिप्त लोग,
सत्य छुपाए बैठे हैं।

अपने काम कर मानव,
जीवन नहीं रहने वाला।
करता चल कर्म ईमानदारी से,
त्याग मोह और माया।

माया काला अंधकार,
कोई मार्ग दिखाई नहीं देगा।
तू बढ़ उजाले की ओर,
कोई साथ खड़ा नहीं होगा।

माया से दूर रहकर, 
तू प्रसन्न रह सकता है।
विचारो से यदि है उच्च तो
जीवन में आगे बढ़ सकता है।

शाहाना परवीन "शान"...
मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश

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6 Comments

बेहतरीन

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Gunjan Kamal

28-Dec-2023 03:32 PM

👌👏👍

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Amit Ratta

26-Dec-2023 07:05 PM

Nice

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