Pramila singh

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लेखनी प्रतियोगिता -28-Dec-2023 दैनिक कहानी प्रतियोगिता - अकबर बीरबल

दैनिक कहानी प्रतियोगिता - अकबर बीरबल




एक बार बादशाह अकबर अपने दरबार में बैठे, अपने मंत्रियों के साथ किसी खास विषय पर विचार विमर्श कर रहे थे l बातचीत खत्म हुई तो अपने स्वभाव के अनुसार उन्होंने एक सवाल पूछ लिया l



उन्होंने कहा - " मैं इतना ताकतवर हूँ, की चाहूं तो आसमां को धरती पर गिरा सकता हूँ l यह आसमान मेरी बाजुओं के दम पर टिका है l क्या इस दरबार में कोई ऐसा है, जो मेरी बात से सहमत नहीं! अगर कोई है, तो सामने आए l मैं उसे अपनी ताकत दिखा दूंगा l " सभी दरबार में उपस्थित लोग सच जानते थे, पर बादशाह की बात काटने की किसी में हिम्मत नहीं थी l



सब अपने अपने तरीके से बादशाह अकबर की तारीफों के पुल बाँधने लगे l बादशाह को यह जानकर दुःख हुआ की उनके दरबार में ऐसा कोई नहीं जो सच बोलने की हिम्मत कर सके l यह तो एक राजा और उसके राज्य के लिए बिलकुल भी अच्छा नहीं हैl अगर राजा के पास सिर्फ चाटुकार हो और कोई भी उसको सही परामर्श देने वाला ना हो, तो उस राजा और उसके राज्य को नष्ट होने से कोई नहीं बचा सकता l




उनकी झूठी तारीफ कर रहे थे, पर बीरबल चुपचाप कोने में खड़े थे l बादशाह उनको चुप देख कर बोले - बीरबल सब मेरी तारीफ कर रहे हैं और तुम चुप खड़े हो l लगता है तुमको मेरी बात पर शक है?  बीरबल बोले - बादशाह सलामत ! आप की बात पर शक तो कोई मुर्ख ही करेगा l सब जानते हैं आपकी ताकत को !



मैं तो ये सोच रहा हूँ, अगर आसमां को हुजूर ने थाम रखा है, तो ये ज़मीन किस के भरोसे पर थमी है l अन्य दरबारी बोले - बीरबल यह भी कोई सोचने की बात हुई, जब आसमान हमारे बादशाह के भरोसे है, तो ज़मीं भी उनके रकमोकरम पर टिकी है l अकबर भी इस बात पर खुश होकर उनकी हाँ में हाँ मिलाने लगे l



अब बीरबल बोला - हुजूर गुस्ताखी माफ़ हो ! पर एक बेचारा इंसान बड़ी मुश्किल में हैl उसे आपकी मदद चाहिए l क्या आप कल मेरे साथ चलेंगे ? 
अकबर उसके साथ चलने को तैयार हो गए l अगले दिन वे दोनों जंगल पहुंचे l जहाँ एक आदमी घर बनाने की कोशिश कर रहा था l



 बीरबल उस व्यक्ति से बोले- बादशाह अकबर खुद चलकर तुम्हारी मदद को आए हैं l देखना अब तुम्हारा घर बन जाएगा l ये इतने ताकतवर हैं, की आसमां को धरती पर गिरा दे l इनके बल पर धरती टिकी है l ये जरूर इस जगह को भी थाम लेगे और तुम्हारा घर बन जाएगा l



अब बीरबल ने उस आदमी की समस्या बादशाह को दिखाई l जब भी वह कोई ईंट उस ज़मीन पर रखता, वह धीरे धीरे ज़मीन में समा जाती l अकबर को समझते देर ना लगी, की यह दलदली ज़मीन है l



वह जोर जोर से बीरबल की चालाकी पर हँसने लगे और बोले - बीरबल तुम्हारा जवाब नहीं! बिना कहे ही तुमने सब कह दिया l बीरबल बोले- "बादशाह सलामत! इस ज़मीन और उस आसमां को थामने वाला बस वो ख़ुदा है l हम बंदो की उसके आगे क्या औकात ! " उस दिन दरबार में सब इस बात को जानते थे, पर आपके डर से आपकी बात का विरोध नहीं कर सके ल


पर आपका हितैषी होने के नाते मुझे आपको सच्चाई तो बतानी थी l शायद मैं लफ्जों में कुछ कहता, तो आप की शान में गुस्ताखी होती l इसलिए लिए मैं आपको यहां ले आया l



हर बार की तरह बादशाह अकबर इस बार भी बीरबल की बुद्धि के कायल हो गए l उन्होंने उसे बहुत सा धन देकर सम्मानित किया क्योंकि उसने उनकी बात भी नहीं काटी और अपनी बात भी समझा दी l




यह मेरी स्वरचित कहानी है l आपको पढ़कर कैसी लगी, जरूर बताइएगा l आप सब की प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा l अच्छी लगे तो 👍देना ना भूलियेगा l




#दैनिक कहानी प्रतियोगिता
#प्रमिला सिंह 

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5 Comments

Madhumita

28-Dec-2023 10:18 PM

Nice one

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Rupesh Kumar

28-Dec-2023 08:49 PM

बहुत खूब

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नंदिता राय

28-Dec-2023 08:44 PM

V nice

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