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चिंगारी (कविता)

चिंगारी


चलो ! फिर से देशभक्ति की चिंगारी सुलगाते है |
देश के गद्दारो को फिर से सबक सिखाते है,
फिर से आज आजादी का कुछ ऐसा जश्न मनाते है |

देश में देश के गद्दार फिर से पनपने ना पाए ,
चलो ! आज फिर से ये कसम खाते है |
दो बूँद "कलम की स्याही" से कुछ ऐसा आग लगाते है |
सोई हुई सबकी जमीर को आज फिर से जगाते है ,
"शहीदो की शहादत " को फिर से याद दिलाते है,
आजादी का कुछ ऐसा नगमा सुनाते है |
चलो ! देशभक्ति की चिंगारी फिर से सुलगाते है
भारत-माता को फिर से बसंती चोला से सजाते है ,
चलो ! आज कुछ इस तरह आजादी का तिरंगा लहराते है |
हम अपनी आजादी कुछ इस तरह मनाते है ,
चलो ! फिर से देशभक्ति की चिंगारी सुलगाते है ||

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3 Comments

Swati chourasia

21-Oct-2021 06:44 PM

Very beautiful 👌

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बेहतरीन 👌👌👌👌

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Gunjan Kamal

21-Oct-2021 12:45 PM

बहुत खूब

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