Neeraj Agarwal

Add To collaction

लेखनी कहानी -30-Dec-2023

शीर्षक - पांव की थिरकन

           बहुत से लोगों में जन्म जात से पांव की थिरकन होती है। क्योंकि बहुत से बच्चे बचपन से ही बहुत चंचल और शरीर से मचलने वाले होते हैं और कहीं भी बैठे उठाएं उनके पांव उनका शरीर हिलता ही रहता है इससे हम सभी कभी-कभी कहे होते हैं भैया इसका तो अंग अंग नाचता है। हम सभी के जीवन में कुछ ना कुछ ऐसा जरूर होता है जो कि हम किसी भी बच्चे को देखकर कह सकते हैं कि यह तो इसके साथ कुदरत का उपहार है और यही कुदरत का उपहार हमारे जीवन में एक बहुत अच्छी शिक्षा बन जाता है आओ हम पढ़ते हैं पांव की थिरकन,.......

                      एक गांव बेलापुर वहां की एक नव दंपति रामनाथ और रानी दोनों की अभी नई-नई शादी हुई है। और परिवार में रामनाथ और रानी के साथ-साथ उनके माता-पिता हरी और सरिता के साथ-साथ एक छोटी सी बेटी रजनी नव दंपति रामनाथ और रानी अपने हनीमून के लिए शिमला का एक प्रोग्राम बनाते हैं तब रजनी भी कहती है मैं भी भैया भाभी के साथ जाऊंगी इस पर रजनी की माता-पिता कहते हैं बेटा भैया भाभी अभी नई-नई शादी हुई है इसलिए इन दोनों को ही जाना चाहिए आप ना जाएं परंतु रजनी जिद पल अड़ जाती है नहीं मैं भी जाऊंगी। 

        रामनाथ  और रानी अपने सास ससुर से कहते हैं कोई बात नहीं रजनी भी हमारे साथ जाएगी। इतना सुनकर रजनी के पांव में थिरकन होने लगती है। और वह खुशी से झूमने लगती है। ऐसा रजनी के पांव में थिरकन सभी ने पहली बार देखी थी और वह रजनी की इस थिरकन को देखकर बड़े खुश हुए और रजनी से बोले रजनी अब हम हनीमून से आने के बाद तुम्हारा नाम एक अच्छी नृत्य शाला में लिखवाएंगे। ऐसा सुनकर रजनी बहुत खुश हुई और वह बोली भैया भाभी मैं तो बहुत खुश हूं परंतु अब मैं आपके साथ नहीं जाऊंगी ऐसा सुनकर रामनाथ और रानी बोली ऐसा क्यों कह रही हो रजनी तब रजनी की आती है हंसकर एक कहावत है भाभी सुनो कबाब में हड्डी अच्छी ना लगती ऐसा क्या करते हैं अपने कमरे की ओर दौड़ जाती है। और ऐसा सुनकर भाभी भी रजनी के पीछे दौड़ती है अच्छा ननद रानी अभी बताती हूं आपको और और फिर सुबह-सुबह रामनाथ और रानी शिमला जाने की तैयारी में लग जाती हैं फिर दोनों शिमला की ओर रवाना हो जाती हैं इधर रजनी अपने कमरे में शीशे के सामने खड़ी होकर पांव की थिरकन का इम्तिहान देती है। अपनी कला नृत्य करते हुए अपने पांव की थिरकन को देखती हैं।

           आज रजनी को शायद अपनी नृत्य शैली पर विश्वास होने लगा था क्योंकि उसकी नृत्य शैली के लिए उसे उसकी भाभी रानी ने उत्साहित कर दिया था। रजनी को भी ऐसा लगने लगा था कि वह पांव की थिरकन के साथ-साथ अपने जीवन में नृत्य शैली को एक नया मोड़ देगी। दरवाजे पर खटखटात होती है रजनी ओ रजनी हां हां  मां बोलो अब रात हो चुकी है बेटी अब सो जाओ अच्छा मां ऐसा कहकर अपने बिस्तर पर चली जाती है। और अपने अच्छे-अच्छे सपनों में खो जाती है।

नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र

   21
5 Comments

Mohammed urooj khan

18-Jan-2024 01:14 PM

👌🏾👌🏾👌🏾

Reply

Milind salve

07-Jan-2024 10:31 PM

V nice

Reply

Madhumita

07-Jan-2024 06:38 PM

Nice one

Reply