चिंगारी
चिंगारी-------
मुक्तक---------
चिंगारी किसी के सीने में दबी हुई है ज़रूर उठनी चाहिए।।
नारी पर हो रहे अन्याय अनाचार की शम्मा जलनी चाहिए।।
अबला अब सबला का सशक्त चंडी रुप धारण कर चुकी है।।
देश में नई सोच नई उम्मीद की बयार ससम्मान बहनी चाहिए ।।
**रामसेवक गुप्ता**
दैनिक साहित्यिक काव्य प्रतियोगिता-------
ऋषभ दिव्येन्द्र
21-Oct-2021 08:58 PM
बहुत खूब 👌👌
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Ramsewak gupta
22-Oct-2021 02:40 PM
सधन्यवाद
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Deepak Dangaich
21-Oct-2021 08:25 PM
Nice
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Ramsewak gupta
22-Oct-2021 02:41 PM
शुक्रिया जी
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Zakirhusain Abbas Chougule
21-Oct-2021 07:38 PM
Nice
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Ramsewak gupta
22-Oct-2021 02:41 PM
शुक्रिया जी
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