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बारहमासी

गीत

 बारहमासी 

बारहमाह की बारहमासी,सबको आज सुनाता हूं ।
अनजान बनो न प्यारे भाई ,सबकी नब्ज बताता हूं ।

 जाड़े से जनवरी भारी है ,कोहरा छाए ओस गिरे । बड़ी बड़ी रातें होती है, छोटा सा दिन बर्फ घिरे।

फरवरी माह में सर्दी ढलती सूरज टॉर्च भई गरम । रंग बिरंगी फसलें कटती खुश किसान तब दिखे नरम ।

महुआ माह मार्च में टपके पत्ते पेड़ों से गिरते हैं । धीरे-धीरे फसल पक रही खेतों में पक्षी तिरते हैं।

 अप्रैल महीना गर्मी लाता गांव शहर सब तप जाते ।
फसल कटाई व्याह काज में उत्सव घर-घर है आते ।

 मई माह में लू चलती है धूल पसीना लद जाते । पैदल चलना मुश्किल होता पल-पल पानी मंगवाते।

 तेज आंधियां तूफां लेकर जून महीना आता है ।जान बचाते जीव जंतु सब नदी ताल छिप जाता है। 

वर्षा लिए जुलाई आई घर-घर में खुशहाली है । अगस्त ताल तलैया भरता मिट जाती बदहाली है ।

दादुर मोर पपीहा कूके सितम सितंबर ढाता है। नींल गगन म इंद्रधनुष भी मौसम मुदित सजाता है  ।

आता यहां अक्टूबर देखो त्योहारों को लाता है  । भांति भांति पकवान खिलाते ठंड अंत में लाता है। 

तन मन देखो लगे कांपने माह नवंबर ठंडी का। तुहिन कणों में मोती जैसे सुबह सुनहरी दिखने का ।

माह दिसंबर शशि स्वरूप में सविता रूप बनाता है ।
अंग्रेजी साल पूर्ण हो गया संतति नई सिखाता है
 
स्वरचित 
डॉक्टर आर बी पटेल अनजान 
छतरपुर मध्य प्रदेश।

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7 Comments

Pranav kayande

09-Jan-2024 04:23 AM

awesome

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Gunjan Kamal

08-Jan-2024 08:04 PM

👏👌

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Rupesh Kumar

07-Jan-2024 07:13 PM

Nice

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